- मार्च का अंतिम हफ्ता 5 साल में सबसे साफ
- लॉकडाउन की वजह से प्रदूषण में आई काफी कमी
- पीएम 2.5 में तय मानकों से काफी ज्यादा गिरावट दर्ज
जिंदगी अंधाधुंध रफ्तार में तेजी से भाग रही थी । वो ना आगे देख रही थी, ना पीछे, बस भागती ही चली जा रही थी । वो अपनी जिद में अपने लाभ के लिए प्रकृति के संतुलन से खिलवाड़ करती चली जा रही थी । उसे खुद पर गुमान था, उसका तो कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता । तभी कोरोना आफत बनकर आई । उस जिद्द में कही ना कही डर दिखने लगा । किसी भी तरह के हादसे से बचने के लिए वही जिद्दी लोग सावधानी बरतने के लिए घरों में कैद हो गए । आज मजबूरी कहिए या जरूरत सब घर में है । तो अब प्राकृतिक स्थितियां-परिस्थितियां बदल गई है ।
प्रदूषित शहरों के लिए कुख्यात देश की राजधानी दिल्ली चैन की शुद्ध हवा लेने की ख्वाहिश ना जाने कितने दिनों से पाले बैठी थी आज उसकी वो मुराद पूरी हुई है । जीहां लॉकडाउन के बाद मार्च का अंतिम हफ्ता पिछले पांच सालों का सबसे साफ हफ्ता रहा है। इस हफ्ते प्रदूषण का स्तर तय मानकों से बहुत अधिक कम रहा है। आसमान इस कदर साफ दिखा, साफ हवा जो अमूमन जून में ही बारिश के बीच राजधानी के लोगों को नसीब होती थी, वो अभी मिल रही है ।
लॉकडाउन के वक्त सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट सीएसई ने दिल्ली की हवा पर पड़े असर को लेकर स्टडी में ये खुलासा किया है। कोरोना की वजह से किए गए लॉकडाउन का असर यूं तो पूरे देश की हवा पर पड़ा है। पीएम 2.5 के स्तर में लगातार कमी आ रही है।
मार्च का अंतिम हफ्ता पिछले साल की तुलना में 26 प्रतिशत तक साफ रहा। इस अंतिम हफ्ते के दौरान हर दिन पीएम 2.5 तय मानकों से कम दर्ज किया गया। मार्च में आमतौर पर सर्दियों की स्मॉग की परत हल्की हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर इतना कम नहीं होता है। इस समय हवा में खुलकर सांस ले सकते हैं, आसमान नीला है।