भारतीय थल सेना की सबसे पुरानी और सर्वाधिक युद्ध सम्मान हासिल करने वाली जाट रेजिमेंट शनिवार को अपना 226वां स्थापना दिवस मनाएगी। जाट रेजिमेंट सेंटर में आयोजित समारोह में उन स्वर्णिम पलों को याद किया जाएगा कि जब राष्ट्र की सीमाओं पर जरूरत पड़ने पर जाट रेजिमेंट के जवान अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान करने से पीछे नहीं हटे। इसके साथ मातृभूमि के लिए शहादत देने का संकल्प भी लिया जाएगा। तीन दिन चलने वाले समारोह के लिए सैन्य क्षेत्र को नो मूवमेंट जोन घोषित किया गया है।
अंग्रेजों ने मुगलों के खिलाफ जाट रेजिमेंट की स्थापना 1795 में कलकत्ता नेटिव मिलेशिया के रूप में की थी। 1859 में इस यूनिट को एक नियमित इन्फैंट्री बटालियन बनाकर 18वीं बंगाल इन्फैं ट्री नाम दिया। 1922 में गठित नौ जाट रेजिमेंट को शुरुआत में चार जाट नाम दिया गया। रेजिमेंट की दूसरी पलटन एक, तीन जाट, बंगाल सेना और दो जाट, बांबे सेना से आई थीं। 1842 के प्रथम अफगान युद्ध में रेजिमेंट लाइट इन्फैंट्री से नवाजी गई। 1892 में फर्स्ट जाट को जाट लाइट इन्फैंट्री बनाया। प्रथम विश्वयुद्ध में इसे ‘रॉयल’ टाइटल सम्मान मिला। 1817 में दो जाट की स्थापना दस बांबे आर्मी इन्फैंट्री के रूप में हुई और 1848 के दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध में दो जाट ने मुल्तशान का बैटल ऑनर हासिल किया। बरेली जाट रेजिमेंटल सेंटर जाट रेजिमेंट की बटालियन का मुख्यालय है।
बरेली जाट सेंटर में 23 जाट बटालियन की स्थापना करीब पांच साल पहले 2016 में की गई थी। पिछले साल 24 जाट बटालियन की स्थापना की घोषणा के साथ अब जाट रेजिमेंट की 24 बटालियन हो चुकी हैं। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक समारोह कोविड प्रोटोकाल के तहत होगा। पिछले साल भी कोरोना की वजह से यह समारोह वर्चुअल तरीके से संपन्न कराया गया था।
भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है जाट
जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है। सन् 1839 से 1947 तक इस रेजिमेंट के नाम 41 युद्ध सम्मान दर्ज हैं। रेजिमेंट में मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के हिंदू जाटों की भर्ती की जाती है। जाट रेजिमेंट को अब तक पांच बैटल ऑनर्स, दो अशोक चक्र, आठ महावीर चक्र, 12 कीर्ति चक्र, 46 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 253 सेना मेडल गैलेंट्री से नवाजा जा चुका है। रेजिमेंट में चार अर्जुन अवार्ड विजेता, आठ ओलंपियन, दो हिंद केसरी, एक ध्यानचंद अवार्ड, एक तेनजिंग नार्गे अवार्ड समेत कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। ब्रिटिश राज में 152 साल तक रही जाट रेजिमेंट का आदर्श वाक्य ‘संगठन व वीरता’ है। युद्धघोष ‘जाट बलवान जय भगवान’ है। महावीर चक्र विजेता कैप्टन अनुज नैय्यर 17वीं बटालियन से थे।
कुपवाड़ा में दो साल में मार गिराए 55 उग्रवादी
सैनिक कॉलोनी संजयनगर के रहने वाले जाट रेजिमेंट के सेवानिवृत्त मेजर सूबेदार बीपी सिंह ने बताया कि 2002 में उनकी तैनाती कुपवाड़ा सेक्टर में थी। 2004 तक सातवीं बटालियन के जवानों ने 55 उग्रवादियों को मार गिराया था। मुठभेड़ में एक सैन्य अफसर भी शहीद हुए थे, कुछ जवान जख्मी हुए थे। इस बहादुरी पर थल सेनाध्यक्ष ने बटालियन को प्रशंसा पत्र दिया था, यूनाइटेड नेशन मिशन पर भी भेजा गया था। 1992 से 1996 तक उन्होंने एनएसजी में ब्लैक कैट कमांडो के तौर पर सेवा दी। 1993 में उग्रवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ने अमृतसर एयरपोर्ट पर सौ से ज्यादा यात्रियों के साथ प्लेन हाइजैक करने का षडयंत्र रचा था जिसे नाकाम करने के लिए किए गए ‘ऑपरेशन अश्वमेघ’ में शामिल कमांडो टीम में भी वह शामिल रहे थे।
कश्मीर में लोगों का हृदय परिवर्तन का भी श्रेय
आशीष रॉयल पार्क में रहने वाले 16 जाट बटालियन के सेवानिवृत्त कर्नल पुरुषोत्तम सिंह 1981 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वह कहते हैं कि जाट रेजिमेंट का समृद्ध इतिहास रहा है। मुल्तान के किले पर कब्जा करने से लेकर कारगिल युद्ध तक देश की सुरक्षा में रेजिमेंट ने भूमिका निभाई है। 2001 में उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर के गांदरबल में थी जहां उग्रवादियों का ठिकाना था। करीब चार साल वहां तैनाती के दौरान उग्रवादियों की पहचान के लिए उन्होंने स्थानीय लोगों के ह्रदय परिवर्तन के लिए प्रयास किया। साल भर बाद खुफिया टीम की जरूरत खत्म हो गई। वहां के स्थानीय निवासी ही उग्रवादियों के बारे में सूचनाएं देने लगे।