माफिया अतीक अहमद का बेटा असद प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या करवाने के लिए लखनऊ से फार्च्यूनर गाड़ी से रवाना हुआ था। वारदात के दौरान उसे गाड़ी से बाहर नहीं उतरना था। गोलीबारी शुरू होने के दौरान वह तैश में आकर गाड़ी से उतर गया था। घटना के बाद उसके गुजरात भाग निकलने की भी आशंका है। मौके पर घटना करने की जिम्मेदारी माफिया अतीक अहमद गिरोह ने अपने खास शूटर गुड्डू मुस्लिम को सौंपी गई थी।

एसटीएफ की टीमें कर रही हैं गुड्डू मुस्लिम की तलाश

घटना के बाद गुड्डू बस से पश्चिम उत्तर प्रदेश की ओर भागा था। यही वजह है कि एसटीएफ की टीमें मुजफ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर के अलावा इटावा में कुछ खास ठिकानों की खाक छान रही है। घटना में शामिल अन्य अपराधियों के नेपाल भागने की भी आशंका है। एसटीएफ की छानबीन में ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं, जिनके आधार पर छानबीन के कदम बढ़ रहे हैं।

फार्च्यूनर गाड़ी से गया था अतीक का बेटा असद

एसटीएफ को जानकारी मिली है कि असद लखनऊ से जिस फार्च्यूनर गाड़ी से गया था, वह अतीक अहमद के एक करीबी बिल्डर की है। इसके अलावा बहराइच में अतीक अहमद के पार्टनर के भाई के नाम एक होटल भी है। आशंका है कि होटल अतीक की बेनामी संपत्ति है। घटना में शामिल कुछ अपराधियों के इस होटल में शरण लेने व उसके बाद नेपाल भाग निकलने की आशंका भी जताई जा रही है। हालांकि अब तक एसटीएफ फरार शूटरों का कोई ठोस सुराग नहीं लगा सकी है।

हत्‍या के बाद शूटरों ने की थी भागने की पूरी प्‍लान‍िंग

उमेश पाल की हत्या के बाद सभी शूटरों के अलग-अलग भागने से लेकर उनके अगले ठिकानों तक की पूरी योजना पहले से तय थी। घटना के बाद प्रयागराज में पुलिस नाकेबंदी व चेकिंग में नाकाम रही थी। यही वजह है कि शूटर बड़ी आसानी से भाग निकले और उनका रूटचार्ट पता करना पुलिस के लिए चुनौती साबित हो रहा है। शूटरों ने घटना के बाद अब तक परिवार व गिरोह के अन्य सदस्यों से भी संपर्क नहीं साधा है। शातिर अपराधी अपना एक-एक कदम तय साजिश के तहत बढ़ा रहे हैं। एसटीएफ के रडार पर अतीक अहमद गिरोह के फाइनेंसर भी हैं। उनकी भूमिका की छानबीन कराई जा रही है।

बदमाशों के साथ पुलिस को भी कोर्ट खुलने का इंतजार

अतीक अहमद का गिरोह ही नहीं पुलिस भी 13 मार्च बीतने का इंतजार कर रही है। कोर्ट खुलने पर पुलिस गुजराज की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद को यहां लाने की कागजी कसरत तेजी से आगे बढ़ा सकेगी। वहीं घटना में शामिल अपराधी भी कोर्ट खुलने पर समर्पण का प्रयास कर सकते हैं। पुलिस को इस पर भी कड़ी नजर रखनी होगी।

अतीक गिरोह पर नहीं हो सकी थी कार्रवाई

जीरो टालरेंस की नीति के तहत शासन ने 62 सूचीबद्ध माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके तहत बीते छह वर्षों में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इसके आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो यह तस्वीर साफ होती है। 20 मार्च, 2017 से आठ जनपरी, 2023 के मध्य प्रयागराज पुलिस कमिश्नरेट में पुलिस व बदमाशों के बीच 112 मुठभेड़ हुईं और 226 अपराधी पकड़े गए। इनमें 58 घायल हुए व तीन मारे गए।

ऐसे ही प्रयागराज जोन में 332 मुठभेड़ में 722 अपराधी पकड़े गए। इनमें 96 घायल हुए व सात मारे गए थे। अन्य जोन व कमिश्नरेट के मुकाबले कार्रवाई का यह आंकड़ा सबसे कम रहा। अतीक अहमद के गिरोह की बात करें तो उसमें 144 सक्रिय सदस्य चिन्हित हैं। इनमें 14 को गिरफ्तार किया गया। गिरोह के सदस्यों के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान 49 मुकदमे दर्ज कराए गए।

22 की हिस्ट्रीशीट खोली गई और गिरोह के 68 शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराए गए। एसटीएफ के अधिकारियों ने करीब एक वर्ष पूर्व प्रयागराज में माफिया के विरुद्ध कार्रवाई का दायरा बढ़ाए जाने का निर्देश भी दिया था। अतीक के भाई अशरफ के समर्पण को भी प्रयागराज पुलिस की नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है। पुलिस की लापरवाही का नतीजा रहा है कि अतीक अहमद गिरोह का हौसला बढ़ता चला गया।