500 सालों से विवाद का मुद्दा बना राम मंदिरा निर्माण को लेकर एक बार फिर सीएम योगी ने विपक्ष को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि मोदी के आने से अयोध्या में राम मंदिर से संबंधित 500 साल के विवाद का समाधान हो गया। यही तो इनको समस्या थी। विवाद की आड़ में लोगों के खाने-कमाने का जो जरिया बंद हो गया और भारत को अपमानित करने का जो धंधा था वह बंद हो गया इसलिए उन्हें कैसे अच्छा लगेगा।

यह बातें सीएम योगी ने शनिवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 52वीं व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि पर आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह का शुभारंभ करने के दौरान कहीं। आयोजन के पहले दिन गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में एक भारत- श्रेष्ठ भारत की संकल्पना ही समर्थ भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित किया। इस दौरान उनहोंने कहा कि कोई भी ऐसा भारतीय नहीं होगा जिसे अपने पवित्र ग्रन्थों वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि की जानकारी न हो। हर भारतीय परम्परागत रूप से इन कथाओं को सुनते हुए, उनसे प्रेरित होते हुए आगे बढ़ता है।

सीएम ने कहा कि कोई भी वेद, पुराण या हमारे अन्य ग्रन्थ यह नहीं कहते कि हम बाहर से आए हैं। हमारे ग्रन्थों में आर्य श्रेष्ठ के लिए और अनार्य दुराचारी के लिए कहा गया है। रामायण में माता सीता ने प्रभु श्रीराम की आर्यपुत्र कहकर संबोधित किया है। पर, कुटिल अंग्रेजों ने वामपंथी इतिहासकारों के माध्यम से इतिहास की पुस्तकों में यह पढ़वाया कि तुम आर्य बाहर से आए हो। ऐसे ज्ञान से नागरिकों में आ”माता भूमि पुत्रोह्म पृथिव्यां” का भाव कैसे पैदा होगा। इतिहास के इस काले अध्याय के जरिये की गई कुत्सित चेष्ठा का परिणाम देश लंबे समय से भुगतता रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही वजह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक भारत-श्रेष्ठ भारत का आह्वान करना पड़ा।

आज मोदी जी के विरोध के पीछे एक ही बात है। उनके नेतृत्व में अयोध्या में पांच सौ वर्ष पुराने विवाद का समाधान हुआ है। विवाद खत्म होने से जिनके खाने-कमाने का जरिया बंद हो गया है तो उन्हें अच्छा कैसे लगेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज जब विस्मृति के चंगुल में फंस जाता है तो वह फरेब का शिकार हो जाता है। भारतीयों के साथ भी यही हुआ। विवाद तो रामजन्मभूमि और ढांचे को लेकर भी खड़ा किया गया। ऐसे में भारतीयों को फरेब के चंगुल से बाहर निकालने को पीएम मोदी ने “सबका साथ-सबका विकास” और “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” का मंत्र दिया।