तीन महीने बाद एक बार फिर कानपुर सुर्खियों में है। हमीरपुर के तंबाकू कारोबारियों की काली कमाई के सीधे संबंध कानपुर से मिले हैं। बिरहाना रोड और नयागंज में छापों के बाद करोड़ों के कैश कारोबार का भंडाफोड़ सेंट्रल जीएसटी कानपुर की टीम ने किया है। इसी के साथ कई और हैरतअंगेज खुलासे हुए। पीयूष जैन की तरह ही जगतबाबू और प्रदीप गुप्ता का रहन-सहन भी बेहद साधारण है। पीयूष की तरह ही गुप्ता बंधुओं ने भी अपनी काली कमाई का ठिकाना अपना बेडरूम बना रखा था। वे 20 करोड़ रुपये से ज्यादा कारोबार के बावजूद जीएसटी में रिटर्न महज 10 से 15 हजार रुपये दिखाते थे।

करोड़ों की गड्डियों को बिस्तर में बिछाकर सोने वाले गुप्ता बंधुओं का रहन सहन बेहद साधारण है। सीजीएसटी सूत्रों के मुताबिक निम्न मध्यवर्ग परिवार की तरह रहने वाले कारोबारियों के पास से करोड़ों कैश मिलते ही सभी हैरत में पड़ गए। घर में कुल चार कमरे हैं। दोनों भाइयों के दो कमरे हैं। इसके अलावा दो छोटे कमरे अलग से हैं। कोई देखकर अंदाजा नहीं लगा सकता कि दोनों भाई करोड़ों में खेलते हैं।

जांच में खुलासा हुआ कि 95 फीसदी कारोबार कच्चे यानी कैश में था। दो से तीन ट्रक माल रोजाना फैक्टरी से निकलता था। एक दिन में कम से कम 6 से 8 लाख का कारोबार था। यानी साल में न्यूनतम 20 करोड़ का माल गुप्ता बंधु बेच रहे थे। लेकिन जीएसटी रिटर्न केवल 5 हजार से 20 हजार रुपये के बीच दिखाया जा रहा था। इतने कम रिटर्न से ही सीजीएसटी अफसरों को शक हुआ। खुफिया जांच कराई गई, तो असली कारोबार का खुलासा हुआ। कैश लेनदेन होने की वजह से बैंकों से ट्रांजेक्शन कम थे।

अभी तक चार बैंक खाते मिले हैं। जिनके आधार पर पाया गया है कि कारोबारी बंधु अपना इनकम टैक्स रिटर्न भी लगभग दस लाख रुपये का ही भरते थे। तंबाकू का ब्रांड सीएम के नाम से निकाला जाता था और इसके लिंक कानपुर के बिरहाना रोड व नयागंज से पाए गए। सेल प्रोसीड की जांच में पाया गया है कि करोड़ों की काली कमाई का दायरा बढ़ सकता है।

दस साल पहले डीएम ने मारा था छापा

2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी जी. श्रीनिवास लू ने छापा मारा था और अवैध ढंग से कारोबार करने के साथ टैक्स चोरी आदि में कार्रवाई करते हुए फैक्ट्री को सील कर दिया था। इस छापेमारी में राकेश गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था जो विचाराधीन है। इसके बाद जगत ने दोनों साझीदारों को व्यवसाय में घाटा दिखाकर अलग कर दिया और 2013 में नौकर के नाम रजिस्ट्रेशन कराकर ब्रांड बदलकर पुन: कारोबार शुरू किया। अब यह ब्रांड भी बाजार में छाया हुआ है।

गेट ही नहीं खोला टीम के तेवर देख डरे

मंगलवार 6 बजे कानपुर सीजीएसटी आयुक्त कार्यालय से पांच गाड़ियों में आई टीम ने सुमेरपुर की पुरानी गल्ला मंडी में तंबाकू व्यवसायी जगत गुप्ता के आवास एवं फैक्ट्री में छापा मारा था। व्यवसायी ने आवास का गेट खोलने में आनाकानी की लेकिन टीम ने जब कड़ा रुख अख्तियार किया तो गेट खोल दिया। 18 घंटे की छापेमारी के बाद 6.31 करोड़ रुपये तीन बक्सों में भरकर एसबीआई में जमा किए गए हैं। सीजीएसटी टीम ने नोट गिनने के लिए एसबीआई हमीरपुर की मशीनें तथा कर्मियों का सहयोग लिया।

तंबाकू कारोबार ने बनाया करोड़पति

गल्ला व्यापार में बुरी तरह से फेल होने के बाद जगत गुप्ता ने दो अन्य लोगों को साझीदार बनाकर 2001 में गुटखा बनाने का कारखाना अपने आवास में लगाया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कुछ ही वर्षों में करोड़पति बन बैठा। कस्बे के बड़े कारोबारियों में गिनती होने लगी। जगत गुप्ता का पूर्व में गल्ले का व्यापार था। इस व्यापार में तबाह हो बर्बादी की कगार पर खड़ा हो गया था। इसको बंद कर 2001 में चंद्रमोहन ब्रांड का रजिस्ट्रेशन राकेश गुप्ता के नाम पर करा गुटखा का कारोबार शुरू किया। चंद दिनों में ही यह ब्रांड बुंदेलखंड के साथ-साथ कानपुर, फतेहपुर व कानपुर देहात में छा गया।

80 लाख रुपये का माल भी बरामद, जब्त

सीजीएसटी कमिश्नर सोमेश तिवारी के मुताबिक दोनों कारोबारियों ने कबूल किया है कि यह रकम बिना दस्तावेजों के माल बेचकर जमा की गई है। उनके कारखानों से बिना दस्तावेजों के 1520 किलो सुपारी, 6 बोरा तंबाकू, 95 किलो पैकिंग रोल, 13,700 पाउच सुपारी और 38000 पाउच तंबाकू जब्त की गई। इससे लगभग 80 लाख रुपये का अघोषित माल तैयार होना था। कच्चा माल नयागंज से खरीदा जाता और बिक्री कैश में हमीरपुर सहित आसपास की जाती।