दो बच्चों के सीमित परिवार के लिए यूपी पुलिस के जवानों को मिलने वाले परिवार नियोजन भत्ता को भी सरकार ने बंद कर दिया है। कोरोना काल में बंद हुए इस भत्ते से पुलिसवालों को हर महीने 250 रुपये से लेकर 650 रुपये तक का नुकसान होता है। हालांकि ज्यादातर पुलिसवालों को न तो इस तरह के किसी भत्ते की मिलने की जानकारी थी और न ही अब बंद होने की ही जानकारी है।

पुलिसवालों को कई तरह के भत्ते मिलते थे। इसमें परिवार नियोजन और सिटी एलाउंस, मूंछ भत्ता आदि था। पर ये भत्ते समय के साथ धीरे-धीरे बंद होते गए। मूंछ भत्ता के लिए शर्त लागू थी, इसमें वही लोग शामिल होते थे जो मूंछें रखते थे और उनकी देखभाल के लिए भत्ते को आवेदन करते थे। समय के साथ मूंछों का क्रेज खत्म होता गया और आखिरकार यह भत्ता बंद कर दिया गया। इसके अलावा कोरोना काल में सिटी एलाउंस भत्ता और परिवार नियोजन भत्ता भी बंद हो गया। परिवार नियोजन भत्ता उन लोगों को मिलता था जिनके बच्चों की संख्या दो तक ही सीमित हो।

हर महीने चुने जा रहे गुडवर्क करने वाले 

गोरखपुर जोन के पुलिस जवानों में गुडवर्क करने की होड़ मची है। इसकी बड़ी वजह पुलिस अफसरों द्वारा हर महीने जोन का टॉप : 11 गुडवर्क करने वाले पुलिसकर्मियों को चयनित किया जाना है। चयनित पुलिसकर्मियों को एडीजी गोरखपुर जोन अखिल कुमार प्रशस्ति-पत्र देते हैं। उन्हें बगल में बैठाकर चाय पिलाते और उनका मान बढ़ाते हैं।अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने तथा आम-अवाम के बीच पुलिस की बेहतर छवि बनाने के लिए अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन अखिल कुमार ने ठोस पहल की। उनकी पहल पर जोन के सभी 11 जिलों की पुलिस अमल कर रही है। अब इसका सार्थक परिणाम भी आने लगा है।

जोन के सभी थानों में बीट-पुलिस अधिकारियों द्वारा न सिर्फ अपराधियों की गिरफ्तारियां की जा रही है बल्कि उनके द्वारा सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्य भी किए जा रहे हैं। बीट-पुलिस अधिकारी अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और अपनी बीट के संभ्रांत नागरिकों, वरिष्ठ नागरिकों से सम्पर्क बनाए रख रहे हैं। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान, ग्राम रोजगार सेवक, ग्राम विकास अधिकारी, प्रधानाध्यापक, आंगनबाड़ी औ आशा कार्यकर्त्रियों से संवाद स्थापित रख रहे हैं।