उत्तराखंड में मजारों के बाद मस्जिदों का निर्माण ! जहां नहीं था कुछ कैसे वहां बन गई कई इमारतें ?
एक तरफ मजारों का जाल…दूसरी तरफ मस्जिदों का काम
देवभूमि में तेजी से क्यों हो रहा काम…कौन चुका रहा दाम ?
कोर्ट के आदेश को दरकिनार…मदरसों के नाम पर मस्जिदों का निर्माण
जंगलों में मजारें..आबादी में मस्जिदें…उत्तराखंड के साथ क्या हो रहा है ?
देवभूमि…आस्था की नगरी…वो राज्य जहां चारधाम यात्रा समेत कई भक्ति परंपराएं आज मिसाल बनी हैं…लेकिन पिछले कुछ सालों से देवभूमि में कई साजिशें हो रही हैं…शांत वातावरण की वादियों में मजारों की गूंज सुनाई दे रही है…जंगलों और खाली जमीनों पर जहां मजारें ही मजारें दिख रहीं थीं..अब मदरसों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है…मजारों से लेकर मदरसों तक का ये सफर किसी साजिश की बू से कम नहीं है…क्योंकि सुुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी वो काम हो रहा है जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की होगी…धीरे धीरे ये मदरसों आलिशान इमारतों में बदले जा रहे हैं…लेकिन किसी को इस बात की खबर नहीं है कि..ये कहां से हो रहा है…इन इमारतों में मस्जिदों का भी निर्माण हो रहा है…मतलब जंगलों और खाली जमीनों पर मजारें फैलाई जा रही हैं तो…जमीनी क्षेत्र में इमारतों के नाम पर मस्जिदें…ये सब उत्तराखंड में हो रहा है…वो उत्तराखंड जो शांति का प्रतीक है…जहां क्राइम नाम की चीज नहीं..और हवा ऐसी ठंडी है कि गर्म लोहा भी ठंडा लगे…जहां का मौैसम शांत वादियों को आवाज देता है…अब उस पहाड़ राज्य में कुछ न कुछ गड़बड़ तो जरुर है…
मजारों के बाद तेजी से मस्जिदों का निर्माण ?
सहसपुर क्षेत्र में मदरसे के अवैध निर्माण का मामला सुर्खियों में आया है….देहरादून के पछुवा में एक दो नहीं बल्कि कई मदरसे आलीशान इमारतों में बनाई गई हैं..खास बात यह है कि इन इमारतों में मस्जिदें भी बनाई जा रही हैं….जिनके निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी लगाई हुई है….देहरादून से पोंटासहिब जाते समय मुख्य मार्ग पर सेलाकोई क्षेत्र में एक आलीशान मदरसे का निर्माण हो रहा है….करोड़ों रुपये की लागत से खड़ी हुई इस इमारत में कई सालों से लगातार निर्माण का काम हो रहा है… मुख्य मार्ग के किनारे बन रही इस इमारत के निर्माण कार्य करवाने की कोई अनुमति एमडीडीए या विकास प्राधिकरण से नहीं ली गई…लेकिन फिर भी इमारत का निर्माण किया जा रहा है…मदरसे के परिसर में मस्जिद भी बनाई गई है…यानि मदरसा शिक्षा भवन की आड़ लेकर यहां मस्जिद खड़ी कर दी गई है….एक मदरसा और मस्जिद सेलाकोई में ही जमनपुर में भी ऐसे ही खड़ी कर दी गई है….जिसकी कोई अनुमति जिला प्रशासन या एमडीडीए से नहीं ली गई है…सहसपुर में बने मदरसे का मामला सुर्खियों में आने के बाद परगना तहसील स्तर से हुई जांच में पता चला कि…नदी श्रेणी की जमीन पर काम हुआ है….इसके साथ साथ यहां एमडीडीए ने दोबारा नोटिस दिया है….पहले नोटिस का जवाब मदरसा प्रबंधकों द्वारा नहीं दिया गया….नोटिस का जवाब न देने की स्थिति में यह बात सही साबित होती है कि सहसपुर मदरसे के निर्माण में कुछ तो गलत हुआ ही है..
आखिर कोर्ट के आदेश को भी क्यों किया दरकिनार ?
देहरादून पछुवा में कोई भी मस्जिद मदरसा या मजारों के लिए नक्शा पास नहीं कराया गया है….इसके पीछे वजह है कि ये सब विवादित जमीनों या सरकारी जमीनों पर हैं और अगर इसके लिए अनुमति लेते हैं तो उन्हें अपनी जमीन के कागज दाखिल खारिज लगवाने होते हैं, जोकि नहीं होते…ऐसे ही शिमला बाई पास रोड पर एक दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा मस्जिदें बिना शासन की अनुमति के खड़ी हो गई हैं…इनमे से ज्यादातर तो सरकार की जमीनों पर अवैध कब्जे करके बना दी गई हैं…… एक मस्जिद तो बीच नदी में बना दी गई है…. जोकि वन विभाग की नदी श्रेणी की जमीन है…जबकि सुप्रीम कोर्ट का 20 सितंबर 2009 का आदेश है कि बिना डीएम की अनुमति के कोई भी नया धार्मिक स्थल अथवा पुराने धार्मिक स्थल की मरम्मत का काम नहीं किया जा सकता और इस आदेश के अनुपालन के लिए देश के हर हाई कोर्ट को जिम्मेदारी दी गई थी…