पल्लवी पटेल

Women Reservation Bill: देश की महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव पर सियासत शुरू हो गई है… बीजेपी 9 साल तक खामोश रही… और अचानक से इस विधेयक को लेकर आ गई… विपक्षी पार्टियों को बीजेपी की ओर से लाए गए इस विधेयक में राजनीति के गंध आने शुरू हो गए… तो उन्होंने महिला आरक्षण बिल को लाने का स्वागत तो किया… लेकिन सवाल भी उठाना शुरू कर दिया… कैबिनेट मंत्री अनुप्रिया पटेल की सगी बहन अपना दल कमेरावादी नेता पल्लवी पटेल ने कुछ ऐसा सवाल किया… कुछ ऐसी बाते कही… जिसने सपा सांसद डिंपल यादव के संदेह को प्रमाणिक बनाने का काम कर दिया… डिंपल के बाद विधायक पल्लवी पटेल ने बड़ी मांग की है… वैसी मांग पल्लवी की बहन अनुप्रिया पटेल ने नहीं की है… डिंपल ने मांग की… डायरेक्ट वार नहीं किया… लेकिन पल्लवी पटेल ने मोदी सरकार के आरक्षण बिल को देखकर अपनी राय इस तरह से रखी… यूपी की सियासत में आने वाले दिनों में अखिलेश पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी पीडीए में पल्लवी के इस बिंदू को शामिल जरूर करेंगे…

हाइलाइट्स

  • पहले डिंपल ने महिला आरक्षण बिल पर सवाल उठाया… अब अनुप्रिया की बहन पल्लवी पटेल ने अपनी मांग के साथ अलग ही सवाल कर दिया
  • अनुप्रिया महिला आरक्षण बिल पर तालियां बजा रही थी… पल्लवी ने कुछ ऐसा सवाल किया… जिसकी चर्चा यूपी की सियासी गलियारे में होने लगी
  • पल्लवी ने साफ कह दिया महिला आरक्षण बिल का वो स्वागत को करेंगे… लेकिन ऐसा होना चाहिए… अगर ऐसा नहीं हुआ तो ये एक ‘प्रोपगेंडा’ है

केंद्र की मोदी सरकार ने संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन महिला आरक्षण बिल को सदन के पटल पर रखा…महिला आरक्षण बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नामक विधेयक कहा गया है… 19 सितंबर को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ये बिल पेश किया…पीएम मोदी ने 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव पर कहा कि इससे लोकसभा मजबूत होगी… हालांकि, इसपर सियासत भी शुरू हो गई है…सपा सांसद डिंपल यादव के लेकर तमाम नेताओं ने इस बिल पर सवाल खड़ा किया है…डिंपल का बयान आया… सरकार को 9 साल पूरे हो गए हैं… अगर इन्हें महिला आरक्षण बिल लाना था तो ये पहले चुनाव से पहले ला सकते थे… ये इसे आखिरी साल में ला रहे हैं… सपा ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि OBC महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं उन्हें उनका हक मिलना चाहिए…


सिराथू से सपा विधायक और अपना दल कमेरावादी नेत्री पल्लवी पटेल ने कहा कि ये अच्छी बात है कि महिलाओं को विधानसभा और लोकसभा में 33% आरक्षण मिल रहा है… इससे राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं को आगे आने का अवसर प्राप्त होगा… वहीं देश की संसद में बैठकर अपने विचार रखने का अवसर मिलेगा…लेकिन इसके बाद पल्लवी पटेल ने जो कहा वो अपनी तरफ से बिलकुल ही अलग व्याख्या है… सपा विधायक पल्लवी पटेल ने कहा कि

उच्च वर्ग की महिलाओं की तुलना में दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज की महिलाओं की स्थितियां काफी खराब हैं। इसलिए अगर सरकार उनकी भागीदारी सुनिश्चित करती है तो यह बिल स्वागत योग्य है… लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है… इस बिल के माध्यम से एक जाति विशेष की महिलाओं को भरने का काम किया जाएगा…अगर दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होती है तो ऐसे में यह सिर्फ चुनावी प्रोपेगेंडा ही माना जायेगा

बता दें कि नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने 27 साल से अटके महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है… इससे पहले इसे 1996 में पेश किया गया था… इस बिल के पास हो जाने पर लोकसभा और राज्‍यों की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित हो जाएंगी… आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्‍या 15 फीसदी से कम है जबकि विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्‍व 10 फीसदी से भी कम है… महिला आरक्षण बिल पास हो जाने पर सदन में आधी आबादी बढ़ जाएगी…कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस बिल को दोनों सदनों से पारित किए जाने और कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी… लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं… कानून बनने के बाद निचले सदन और राज्य के विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएगी