ऐतिहासिक ददरी मेले में पशु मेला खासी अहमियत रखता है… ऐसे में पशु मेले में आने वाले गधे और खच्चर व्यापार को एक नया आयाम देते हैं… गधा मेला के दौरान बड़ी संख्या में अलग-अलग नस्ल के गधे और खच्चर आते हैं। गधा मेला की सबसे खास बात ये है कि व्यापार के साथ-साथ धोबी समाज के लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी भी यहीं से तय करते हैं… दरसल ये परंपरा सदियों पुरानी है… जब दूर-दराज रहने वाले धोबी समाज के लोग एक दूसरे से नहीं मिल पाते हैं… लेकिन ददरी मेला में लगने वाले पशु मेले के जरिए इस समाज के लोग दूरदराज के अपने रिश्तेदारों और जान पहचान के व्यापारियों से मिलकर वर-वधू की शादी तय करते हैं… और यहीं शादी के कार्ड भी आपस में एक दूसरे को बांट देते हैं
बलिया का ददरी मेला अपने ऐतिहासिक और व्यापारिक इतिहास के लिए जाना जाता है… ऐसे में गधा मेला उन लोगों के लिए एक बड़े स्तर पर होता है… जिनके लिए अच्छी नस्ल के गधे और खच्चर आसानी से मिल जाते हैं… गधा मेला में हजारों से लेकर लाखों रुपए तक के गधे और खच्चर बिकते हैं… जिससे व्यापारी बड़ा मुनाफा कमाते हैं और इस मुनाफे के जरिए ही आपस में रिश्ता तय कर बेटे-बेटियों की शादी भी तय करते हैं… धोबी समाज के लोगों का कहना है कि उनका समाज बहुत गरीब और निचले तबके का है… लिहाजा इस तरीके के मेले से व्यापार ही नहीं सामाजिक बंधन भी मजबूत होते हैं