चमत्कार, चमत्कार और चमत्कार ! गोलू देवता का चमत्कार आप भी देख बोलेंगे ” जय गोलू देवता”

चमत्कारों की भूमि उत्तराखंड में हुआ बड़ा चमत्कार
उत्तराखंड के गोल्ज्यू मंदिर में दिखा प्रकृति का चमत्कार
मंदिर परिसर में हुए चमत्कार को देखने दूर-दूर से आ रहे हैं लोग
15 सालों से सूखा था पेड़ और हुआ कुछ ऐसा कि हरा-भरा हो गया पेड़
करीब 400 साल पुराना है चमत्कारी शहतूत का पेड़

देवभूमि उत्तराखंड चमत्कारों की भूमि मानी जाती है जहां हजारों मंदिर हैं और यहां साल भर देश विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं इन मंदिरों के बारे में मान्यता है कि उत्तराखंड के कई मंदिरों के आसपास लोगों को अक्सर चमत्कार देखने को मिलता रहता है…अब प्रकृति का एक ऐसा ही चमत्कार इन दिनों उत्तराखंड के गोल्ज्यू मंदिर में देखने को मिल रहा है…जिसे देखकर ना केवल स्थानीय लोग हैरान हैं बल्कि देशभर के लोग सोच में पड़ गए हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे…एक पेड़ जो 15 सालों से सूखा पड़ा था अचानक से हराभरा दिखने लगा…तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर कैसे हुआ है ये चम्तकार जिसे देखने देशभर से लोग कैसे पहुंच रहे हैं….बताएंगे आपको पूरी खबर बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें
जब जब लोग कुदरत और प्रकृति को भूलने लगते हैं तब तब प्रकृति ये दिखा देती है कि तुम चाहे चांद पर पहुंच जाओ या मंगल पर लेकिन कुदरत से ऊपर कोई नहीं जा सकता अब इसे चमत्कार कहें या प्रकृति की देन कि एक पेड़ जो 15 सालों से सूखा पड़ा था आते जाते लोग उसे देखते थे लेकिन किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी कि ये पेड़ फिर से हराभरा हो सकता है…वैसे यही तो वो समय होता है जब प्रकृति अपने होने का एहसास करवाती है…और लोद घाटी के ग्वेल देवता मंदिर में भी कुछ ऐसा ही हुआ…यहां 15 सालों से सूखा शहतूत का पेड़ एक बार फिर हरा भरा हो गया है। अब इतने सालों से सूखे पेड़ के फिर से हराभरा होना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग इस पेड़ देखने आ रहे हैं

15 सालों से सूखा था शहतूत का पेड़

बताया जा रहा है कि स्थानीय लोग इसे ग्वेल देवता की कृपा और चमत्‍कार मान रहे हैं। मंदिर के पुजारी शंकर दत्त पाटनी के मुताबिक

ग्वेल देवता मंदिर परिसर में स्थापित शहतूत का पेड़ करीब 400 साल
पुराना है ये शहतूत का पेड़ लगभग 15 सालों से सूख गया था, लेकिन
अब यह पेड़ हर दिन प्रतिदिन हरा भरा होता जा रहा है।

मान रहे ग्वेल देवता की कृपा

इस 400 साल पुराने और 15 साल से सूखे शहतूत के पेड़ के फिर से हराभरा होने पर कई कहानियां चल रही हैं इनमें पुजारी शंकर दत्त और स्थानीय लोग इसे ग्वेल देवता की कृपा मान रहे हैं….पुजारी शंकर दत्त और स्थानीय लोगों के मुताबिक

पेड़ के सालों बाद हरा भरा होना ग्वेल देवता की कृपा से
ही संभव हो सका है इतना ही नहीं ग्वेल देवता आज भी
मंदिर परिसर पर विराजमान हैं।

बता दें कि पुजारी शंकर दत्त पाटनी के मुताबिक चंद राजाओं की ओर से 400 साल पहले लोद घाटी में स्थापित गोलू देवता मंदिर में प्रतिवर्ष वैशाखी पर्व पर गर्भगृह की पूजा-अर्चना होती है। और इसके दूसरे दिन ही मंदिर परिसर में भव्य मेला लगता है। आश्विन मास की नवरात्र में मंदिर में हरेला बोया जाता है। इस दौरान यहां विशाल मेला भी लगता है।फिलहाल यहां 15 सालों से सूखे हुए शहतूत के पेड़ को देखने बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं जो अब बिल्कुल हराभरा दिखने लगा है….आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं…साथ ही उत्तराखंड की हर खबर के लिए हमारा चैनल सब्सक्राइब कर लें….शुक्रिया