उत्तराखंड के IAS हिमांशु गुप्ता की संघर्ष की कहानी ! जब चाय बनाने वाला बन गया IAS अफसर देखिए…उत्तराखंड के हिमांशु गुप्ता की कहानी
चाय की दुकान पर करता था काम…IAS बन बनाया अपना नाम !
पहाड़ को हिमांशु की रोचक कहानी…खुद सुनिए IAS बनने की जुबानी !
गरीब परिवार का लड़का नहीं माना हार…सफलता के रास्ते में रोड़े पड़े हजार !
हिम्मत मत हार तो सारी सफलताएं एक न एक दिन कदमों पर आ ही जाती हैं…बड़ी बड़ी सफलता की कहानियां भले ही आपने सुनी होगी..लेकिन हकीकत की दास्तां जब सामने आती है तो तस्वीर अलग हो जाती है…कुछ ऐसा ही हुआ है हिमांशु गुप्ता के साथ…चाय की दुकान पर काम करके ias बनने की कहानी जब आप सुनेंगे तो पैरों तले जमीन खीसक जाएगी…कामयाबी पाने के लिए ये जरुरी नहीं की आप बड़े घर वाले हों या फिर बहुत पैसा हो…हिमांशु गुप्ता के फॉर्मूले से भी अफसर बना जा सकता है…ये तो साफ हो गया है….और इसी सफलताओं को देखकर युवाओं के भीतर हौसले की उम्मीद जगती है…और लोग अपने कदम को नहीं रोकते…हिमांशु गुप्ता ने IAS बनने का जो सपना साकार किया है वो वाकई किसी के बस की बात नहीं थी…लेकिन वो कर दिखाया जो किसी के नसीब में बहुत कम होता है…कहते हैं सफल होने के रास्ते में रोड़े तो बहुत आते हैं लेकिन उन रोड़े को खत्म करना भी चुनौती होता है…वो भी एक परीक्षा होती है…हिमांशु गुप्ता की सफलता के पीछे बड़े से बड़े रोड़े आए लेकिन वो हार नहीं माने और डटे रहे..आज IAS अफसर बन गए हैं…
साधारण परिवार का लड़का बना IAS
किताब बड़ा और छोटा आदमी नहीं देखता…इसिलिए ज्ञान का कोई धर्म नहीं होता…त्तराखंड सितारगंज के रहने वाले हिमांशु गुप्ता वे साधारण परिवार से आते हैं…उनके पिता की एक दुकान है, जहां हिमांशु भी रोज जाया करते थे और वहां बैठकर वह दुकानदारी संभालने के अलावा अखबार भी पढ़ते थे….धीरे-धीरे उनका मन ज्ञान हासिल करने की तरफ बढ़ता चला गया तो उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया…यूपीएससी क्लियर करने की भूख इस कदर बढ़ गई कि उन्हें अंग्रेजी सीखने के लिए हर दिन 70 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता था…हिमांशु गुप्ता ने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया….फीस जमा करने के लिए वह ट्यूशन पढ़ाया करते थे….हिमांशु गुप्ता ने यूपीएससी की तैयारी के लिए किसी प्रकार की कोई कोचिंग नहीं ली लेकिन ट्यूशन पढ़ाने उन्हें काफी मदद मिली…
हिमांशु गुप्ता ने नहीं मानी हार
कहते हैं ना अगर लक्ष्य निर्धारित कर लिया जाए तो उसे पूरा करने की जिद तभी सोने नहीं देती है और हिमांशु गुप्ता के साथ भी ऐसा ही हुआ ….सिविल सेवा की परीक्षा में जब कोई सफल होता है तो एक नई कहानी पैदा होती है जो युवाओं में ऊर्जा भरने का काम करती है… सफल होने के लिए संसाधन नहीं बल्कि भूख की जरूरत होती है…आईएएस हिमांशु गुप्ता की कहानी भी ऐसी ही है…. उत्तराखंड निवासी हिमांशु गुप्ता ने साल 2020 में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की थी…उन्होंने ऑल इंडिया 139 रैंक हासिल की थी….उन्हें कामयाबी के शिखर तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा….यूपीएससी परीक्षा के पहले प्रयास में ही साल 2018 में हिमांशु गुप्ता को कामयाबी मिली…उन्हें इंडियन रेलवे सर्विस मिली थी…साल 2019 में उन्होंने एक बार फिर यूपीएससी परीक्षा में कामयाबी हासिल की और पुलिस सर्विस को ज्वाइन किया….साल 2020 में उन्होंने यूपीएससी के तीसरे प्रयास में अपना आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया साल 2020 में उन्हें 139 वी रैंक हासिल हुई थी…
एक बार किसी इंटरव्यू में आईएएस हिमांशु गुप्ता ने बताया कि… उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए इंटरनेट का सहारा लिया था वह डिजिटल तरीके से मॉक टेस्ट दिया करते थ,,,, अब कहने को तो हजारों लोग कहते हैं कि इंटरनेट युवाओं को बर्बाद कर रहा है लेकिन आईएएस हिमांशु गुप्ता जैसे उदाहरण भी हैं जो बताते हैं कि इंटरनेट का सदुपयोग कामयाबी के रास्ते भी खोल सकता है..