आतंकी हबीबुल इस्लाम ने यू-ट्यूब के जरिये वर्चुअल आईडी बनानी सीखी। एटीएस की पूछताछ में उसने यह खुद खुलासा किया। यह भी बताया कि गुजरात के जिस मदरसे में वह पढ़ता था, संदिग्ध गतिविधियों के चलते वहां से भगा दिया गया था। हबीबुल ने सोशल मीडिया के जरिये ही आईडी बनाने से लेकर आतंकियों के संपर्क में आकर जिहाद शुरू किया। एटीएस के सूत्रों के मुताबिक ढाई से तीन साल पहले हबीबुल के भीतर धार्मिक कट्टरता पनपनी शुरू हुई। इसको लेकर वह सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ खोजता रहता था। खासकर देश विरोधी कंटेंट देखता व सुनता था। इसके बाद उसके अंदर आतंकियों से जुड़ने की इच्छा पनकी। मोबाइल से संपर्क करता तो पकड़ा जाता। इसके चलते उसने वर्चुअल आईडी के बारे में जानकारी की। 

हबीबुल इस्लाम

यूएस-यूके के कोड का करता था इस्तेमाल
वर्चुअल आईडी बनाने में हबीबुल बड़ा खेल करता था। पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देशों के बजाए यूएस व यूके के कोड की आईडी बनाता था। वह ऐसा क्यों करता था जब इस बारे में एटीएस ने पूछा तो बताया कि पाकिस्तान व अफगानिस्तान के कोड का इस्तेमाल करने से अगर ट्रेस किया जाता तो जांच एजेंसियों को शक तत्काल हो जाता। इसलिए वह यूएस व यूके के कोड से आईडी बनाना था ताकि जल्द किसी भी जांच एजेंसी को शक न हो सके। विज्ञापन

हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला।

तो क्या सीधे संगठन के मुखिया के संपर्क में था हबीबुल 
जैश-ए-मोहम्मद संगठन को आतंकी मसूद अजहर ने तैयार किया। सूत्रों के मुताबिक हबीबुल उसके भाई अब्दुल रौफ अजहर के सीधे संपर्क में था। पाकिस्तान में बैठा अब्दुल वर्तमान में संगठन का मुख्य हैंडलर है। इस तथ्य को जांच एजेंसी और गहनता से जांच रही है। जांच के बाद पूरे तथ्य सामने आएंगे। आशंका है कि हबीबुल वर्चुअल आईडी के जरिये ही अब्दुल के संपर्क में था।

Terrorist Habibul

वर्चुअल आईडी के बारे में समझिए
साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने बताया कि तमाम वेबसाइट हैं, जहां से वर्चुअल आईडी बनाई जाती हैं। इसके लिए एक तय फीस चुकानी होती है। आतंकी जिन वर्चुअल आईडी का उपयोग करते हैं, उसमें वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का इस्तेमाल होता है। 

आतंकी हबीबुल के पास मिला चाकू और अन्य सामान

कुछ देशों में इस्तेमाल होता है। इसकी मदद से जो वर्चुअल आईडी बनाई जाती है, उससे सही आईपी एड्रेस प्रदर्शित नहीं होता है। अगर कोई देश इससे संबंधित जानकारी मांगता है तो भी जानकारी साझा नहीं की जाती। 

एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुुमार।

इसकी वजह से ही आतंकी इस नेटवर्क से बनाई गई वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल कर मनचाहे देश का कोड फ्लैश करवाकर बातचीत करने के साथ सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। इसे ट्रेस करना संभव नहीं हो पाता। हबीबुल भी यही करता था।