मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर उतरी हजारों की भीड़ के समर्थन के लिए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की राजनीति कुछ अलग ही राह पर निकलती जा रही है । अखिलेश अपनी राजनीति के लिए अलग ही माहौल बना रहे हैं । मौजूदा वक्त में बहुत ऐसे मामले आए जिसमें बाहर से आए लोगों को अपने ही गांव के लोगों ने बाहर का रास्ता दिखाया । गांव में एंट्री ना कर जाए इसके लिए पुलिस प्रशासन की मदद की । इन लोगों की वजह से लोग दहशत में रहते हैं ।

ये एक स्थिति है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है । तो फिर ऐसी स्थिति में अखिलेश लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के पक्ष में आवाज उठाने के लिए क्यों आगे आए ? अखिलेश ने इस मुद्दे पर एक ट्वीट कर कहा है कि जब अमीरों को जहाज से विदेशों से ला सकते हैं तो गरीबों को ट्रेनों से क्यों नहीं भेजा जा सकता? उन्होंने यूपी सरकार से केंद्र सरकार के साथ मिलकर दूसरे राज्यों में फंसे यूपी के लोगों को निकालने की मांग की है।

अखिलेश ने अपने ट्वीट में लिखा है

मुंबई में हजारों लोगों के सड़कों पर आकर घर लौटने की मांग को देखते हुए यूपी की सरकार तुरंत नोडल अधिकारी नियुक्त करे और केंद्र के साथ मिलकर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के लोगों को निकाले । जब अमीरों को जहाज से विदेशों से ला सकते हैं, तो गरीबों को ट्रेनों से क्यों नहीं ।

वहीं इस मुद्दे पर यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने योगी सरकार की गंभीरता को अखिलेश के सामने पेश किया । जिसे ट्वीट के साथ पोस्टकर स्वतंत्र देव सिंह ने अखिलेश को मामले में राजनीति ना करने की नसीहत भी दी।

अनपढ़ों की तरह बात मत करिए अखिलेश जी, दूसरे राज्यों में रह रहे उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है। उन अधिकारियों के नंबर जारी किए जा चुके हैं। रोज यूपी के मुख्य सचिव उन अधिकारियों से बात करते हैं।

तो क्या अखिलेश के लिए वो राज्य, जहां यूपी से लोग काम के लिए गए हैं वो विदेश है ? जब प्रवासी मजदूरों के लिए उचित व्यवस्था करने की बात अलग-अलग राज्यों की सरकारें कह रही है तो वैसी स्थिति में इस तरह की बात कह कर अखिलेश क्या जतलाना चाहते हैं? कही ऐसा तो नहीं है कोरोना महामारी के बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 2022 में सिंहासन तक पहुंचने के लिए अपना रास्ता बना रहे हैं ? यूपी की जनता में सीएम योगी के लिए नकारात्मक छवि बनाने की कही कोशिश तो नहीं कर रहे है ?