बिहार के वो तीन पुलिस अफसर जिससे डरता था डॉन शहाबुद्दीन एक ने अकड़ को तोड़ा… दूसरे ने जमीं दिखाई… तीसरे ने साम्राज्य को किया बर्बाद

बिहार के वो तीन पुलिस अफसर… जिसके सामने शहाबुद्दीन भरता था पानी !
तीन पुलिस अफसर… जिन्होंने शहाबुद्दीन के साम्राज्य को किया था तहस-नहस
एक ने अकड़ को तोड़ा… दूसरे ने जमीं दिखाई… तीसरे ने साम्राज्य को किया बर्बाद

डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन इस दुनिया में अब नहीं है… लेकिन बिहार में एक वक्त था… जब मोहम्मद शहाबुद्दीन का ‘राज’ चलता था… वो अपराध का बेताज बादशाह था… उस वक्त उसे चुनौती देने की क्षमता किसी नहीं थी… लेकिन उस वक्त कुछ जाबांज अधिकारी ऐसे थे…जो शहाबुद्दीन की आंखों में आंखें डाल कर बात करते थे… जब समय आया तो शाहाबुद्दीन को जेल के दीवार के पीछे धकेलने से गुरेज भी नहीं किया… चलिए उस जाबांज अधिकारी से आपको वाकिफ कराते हैं…

जब राजविंदर सिंह भट्टी ने शाहबुद्दीन की अकड़ को तोड़ा

बिहार के मौजूदा डीजीपी ने 15 दिन में शहाबुद्दीन को गिरफ्तार किया था… राजविंदर सिंह भट्टी 1990 बैच के आईपीएस अफसर है… भट्टी मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं…. तब बिहार में बाहुबलियों का बोलबाला था, उनके खिलाफ एक्शन लेने से पुलिसवालों को भी सोचना पड़ता था… उसी वक्त साल 2005 में विधानसभा चुनाव के समय विशेष तौर पर आरएस भट्टी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बिहार भेजा गया… उनको सीवान में डीआईजी का पद सौंपा गया… उन दिनों सीवान में शहाबुद्दीन की तूती बोलती थी… साल 2005 में दो बार फरवरी और अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव हुए थे… अक्टूबर 2005 विधानसभा चुनाव के लिए केजे राव को पर्यवेक्षक बनाया गया था… उन्होंने ही आरएस भट्टी को सीवान के लिए मांगा था…सीवान में एसपी का पोस्ट था लेकिन आरएस भट्टी सीबीआई में डीआईजी थे… इसलिए सीवान में एसपी पोस्ट को खत्म किया गया… फिर भट्टी को डीआईजी बनाकर सीवान भेजा गया… चुनाव पर्यवेक्षक केजे राव ने साफ कह दिया था कि शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करो… आरएस भट्टी एक्शन में आ गए। सीवान पहुंचते ही स्पेशल टीम बनाई गई और शहाबुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई… सीवान पहुंचने के 15वें दिन शहाबुद्दीन को हथकड़ी पहना दी गई….

डीजीपी डीपी ओझा ने दिखाई थी शहाबुद्दीन को जमीं

ये वो समय था जब मुस्लिम मत के लिए बाहुबली सांसद शाहबुद्दीन को आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का संरक्षण प्राप्त था… साल 2003 में डीपी ओझा डीजीपी बने… डीजीपी बनते ही ओझा ने शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसना शुरू किया… पहले सबूत इकट्ठे किए गए… कई पुराने मामलों को फिर से उठाया गया… ऐसे कई मामले थे, जो सीआईडी को सौंप दी गई थी।… उन मामलों की फिर से समीक्षा कराई… माले कार्यकर्ता मुन्ना चौधरी के अपहरण और हत्या के आरोप में वारंट जारी किया गया… दबिश बढ़ाई… तंग होकर शाहबुद्दीन ने सरेंडर कर दिया… मगर राज्य की सियासत काफी गर्म हो गई… सरकार ने डीपी ओझा को हटा दिया।

आईएएस अधिकारी सीके अनिल साम्राज्य को किया बर्बाद

1991 बैच के आईएएस अधिकारी सीके अनिल ने भी शहाबुद्दीन को दिन में तारे दिखाए… तत्कालीन डीएम सीके अनिल ने न केवल शाहबुद्दीन का नाम वोटर लिस्ट से खारिज कर दिया बल्कि जिला बदर भी कर दिया… इनके दौरान मामला था दो सगे भाई को तेजाब से नहलाकर मौत के घाट उतारने का… ये सीके अनिल ही थे, जिन्होंने शहाबुद्दीन को आरोपी बनाया और उनके साम्राज्य को तहस-नहस करने का संकल्प लिया… इतना ही नहीं इस तेजाब कांड के सिलसिले में आईपीएस रत्न संजय के साथ शाहबुद्दीन के प्रतापगढ़ स्थित आवास पर छापेमारी की… इस छापेमारी में पाकिस्तान निर्मित हथियार मिले… वैसे एके 47 भी मिले थे, जिस पर पाकिस्तान के मुहर भी लगे थे…सिवान के एसपी बने रत्न संजय ने भी शहाबुद्दीन के नाक में नकेल कस दी थी… ये वो एसपी थे, जिन्होंने शाहबुद्दीन के जेल में रहते हुए भी साजिशकर्ता के रूप में मामला दर्ज कराया… इसमें दो भाइयों को तेजाब से नहला कर मामला भी शामिल था… तब इस मामले में डीजीपी डीपी ओझा, डीएम सीके अनिल के साथ प्रतापपुर शहाबुद्दीन के आवास पर छापेमारी कर हथियार, पैसा और जानवरों का खाल और गहना बरामद किया था… ये तीन पुलिस अधिकारी थे… जिन्होंने शाहबुद्दीन के नाक में दम कर दिया था…