सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की राजनीति के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं । अब आप सोच रहे होंगे, अरे अखिलेश ये क्या कह रहे हैं । अभी कल ही तो उन्होंने सरकार को, पीएम मोदी को राजनीति से ऊपर उठकर सपा की ओर से समर्थन देने की बात कही थी । फिर अचानक यू-टर्न लेकर पीएम को निशाने पर क्यों लेने लगे । तो जान लीजिए, ये निशाना प्रधानमंत्री नरेंद्र की जनता से उस अपील के लिए है, जो अखिलेश के गले में उतर ही नहीं पा रहा है । उन्हें शायद कही ना कही कुछ तो राजनीति की महक आई । जिसकी वजह से वो राजनीति गलियारे के रास्ते में कोरोना काल में खुद को उतारने से परहेज नहीं कर सके ।
कभी प्रधानमंत्री मोदी ने जनता कर्फ्यू को सफल बनाने के लिए जनता से निवेदन किया था लोगों ने भी उसे अपनाकर तालियों और थालियों की गड़गड़ाहट के बीच सफल बनाया था। देश-दुनिया में पीएम मोदी की खूब वाह-वाही हुई थी। लेकिन उनके विरोधियों और आलोचको को ये रास नहीं आया । उन्होंने आलोचना करने की बहुत खूब कोशिश की, लेकिन उस अंदाज में कामयाबी नहीं हासिल हुई। जो उन्होंने सोचा था ।
अब एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदार दास मोदी ने देश के लोगों से अपील की है कि रविवार पांच अप्रैल को रात 9 बजे सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे या बालकनी में खड़े होकर, 9 मिनट तक मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं। पीएम ने ये अपील जनता से की । लेकिन अबकी बार विपक्ष पीएम मोदी की इस बढ़त पर हमलावर है । सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीएम की इस अपील पर तंज कसा है । उन्होंने ट्वीट कर लिखा है…
बाहर भी कम न होगी रोशनी
अखिलेश यादव, अध्यक्ष, सपा
दिलों में उजाले बनाए रखिए

अब अखिलेश के इस शायराना ट्वीट के कई मतलब निकलते हैं । मतलब निकालने वाले मतलब निकाल भी रहे हैं । सोशल मीडिया के अलग-अलग माध्यमों पर अपनी अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकार का बखूबी इस्तेमाल भी कर रहे हैं ।

बहरहाल पीएम मोदी ने 5 अप्रैल को 9 बजे 9 मिनट तक घरों की लाइट बुझाकर बालकनी के बाहरमोमबत्ती या दीप जलाने पर यही तर्क है कि उस वक्त प्रकाश की उस महाशक्ति का ऐहसास होगा, जिसमें एक ही मकसद से हम सब लड़ रहे हैं, ये उजागर होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां माना जाता है कि जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप होते हैं। इसलिए जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो तो ऐसी लड़ाई में बार-बार जनता रूपी महाशक्ति का साक्षात्कार करते रहना चाहिए। ये साक्षात्कार, हमें मनोबल देता है, लक्ष्य देता है, उसकी प्राप्ति के लिए ऊर्जा देता है, हमारा मार्ग और स्पष्ट करता है। कोरोना महामारी से फैले अंधकार के बीच, हमें निरंतर प्रकाश की ओर जाना है।
तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकजुट होकर एकता में लयबद्ध होकर पूरी शक्ति के साथ कोरोना के अंधकार को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से जलाने का संदेश दे रहे हैं । लेकिन अखिलेश तो दिलों में उजाले बनाए रखने की बात कह रहे हैं तो इस क्या मतलब निकाला जाए ?