पटरियों पर छाई खामोशी बहुत कुछ कहती है ! कभी इसी रोटी के लिए घर से वो अभागे लोग निकले होंगे । जिसे आम भाषा मजदूर, मजबूर गरीब कह सकते हैं । जब कोरोना काल में इसी रोटी पर संकट गहराया तो सबको घर की याद आयी । महाराष्ट्र के औरंगाबाद से ट्रेन पकड़नी थी, पैदल ही पटरियों की निशानदेही के साथ निकले । साथ में कुछ सामान और भूख मिटाने के लिए रोटियों के साथ रवाना हुए ।

रात का वक्त था, नींद आयी होगी । आराम करने का सोचा होगा । आराम करने भी लगे होंगे । तकियों के तौर पर इन्हीं पटरियों का सहारा लिया होगा । तभी छूक-छूक करके ट्रेन अपनी रफ्तार से गुजरी होगी… एक-एक करके 16 मजदूर काल के गाल में समा गए । और बची तो सिर्फ इन बिखरी हुई रोटियों का अस्तित्व । ऐसे में सवाल उठता है क्या इन रोटियों की कीमत मौत है ।

16 मजदूर महाराष्ट्र की एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन की वजह से काम बंद था। इन्होंने सोचा होगा ऐसे में घर ही चले जाएं। लॉकडाउन में यातायात के साधन बंद हैं और इन्हें औरंगाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचना था। ये सभी मजदूर मध्य प्रदेश के बताए जा रहे हैं, मध्य प्रदेश के लिए औरंगाबाद से ट्रेन चल रही थी। इसलिए पटरी के सहारे स्टेशन के लिए निकल पड़े। लेकिन नियति ने शायद इनके लिए कुछ और ही सोच रखा था ।

औरंगाबाद में मालगाड़ी से 16 मजदूरों के कटने का मंजर दिल को चीर रहा है। अब खामोश पटरियों पर मौत का सन्नाटा पसरा हुआ है।पटरी के पास का सुबह का मंजर डरानेवाला था। पटरी पर हर तरफ लाशें पड़ी थीं। पटरी पर ही इन लोगों का सामान और रोटियां बिखरी थीं जो ये लोग सफर के लिए लाए होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हादसे पर शोक जताया है ।प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेल दुर्घटना में लोगों के मारे जाने से बहुत दुखी हूं। रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है और वह स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं।
Extremely anguished by the loss of lives due to the rail accident in Aurangabad, Maharashtra. Have spoken to Railway Minister Shri Piyush Goyal and he is closely monitoring the situation. All possible assistance required is being provided.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 8, 2020
इस वक्त गरीबों की यही जिंदगी यथार्थ है और शायद मौत भी ऐसी ही हकीकत के तौर सामने आ रही है ।