गोरखपुर शाहपुर इलाके के घोषीपुरवा में पिता जीतेंद्र श्रीवास्तव के साथ आत्महत्या करने वाली मान्या (16) और मानवी (14) की कला और संस्कृति में गहरी रुचि थी। दोनों बहनें सेंट्रल एकेडमी शाहपुर में कक्षा नौ और सात में पढ़ती थीं।

सुबह दोनों बहनों की मौत की सूचना मिलने के बाद से शिक्षकों के साथ सहपाठी भी सदमे में हैं। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था एक दिन पहले बालदिवस पर जिस मान्या को समूह गीत में प्रतिभाग करते देखा, वह आज हमारे बीच नहीं है। कार्यक्रम में मान्या ने आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं, दिल से दिल तक राह बनाएं… गीत की प्रस्तुति दी थी। छोटी बहन मानवी अपनी बहन का हौसला बढ़ा रही थी। चेहरे से मासूम और हंसमुख मिजाज की दोनों बहनें पढ़ाई के साथ ही गैर शैक्षणिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं।

मान्या ने बाल दिवस पर स्कूल के कार्यक्रम में लिया था हिस्सा।

 बालदिवस के उपलक्ष्य में स्कूल प्रबंधन की ओर से 12 से 14 नवंबर तक खो-खो एवं निबंध समेत कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था। मान्या ने निबंध प्रतियोगिता के सीनियर वर्ग में पहला स्थान हासिल किया था। खो-खो में भी हिस्सा लिया। सुबह की मार्निंग असेंबली में भी दोनों बहनें सक्रिय भूमिका निभाती थीं।

छमाही परीक्षा में मिले थे अच्छे नंबर
स्कूल प्रबंधन की ओर से आयोजित छमाही परीक्षाओं में मान्या को 86.6 फीसदी तो मानवी को 73.4 फीसदी अंक मिले थे। दोनों बहनें पढ़ाई में मेधावी थीं। बड़ी बहन मान्या की गणित और साइंस में गहरी रुचि थी।

पांच महीने की फीस बकाया थी
परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से दोनों बहनों की पांच-पांच माह की फीस बकाया थी। स्कूल प्रबंधन भी उनकी आर्थिक स्थिति से अवगत था। इसलिए फीस के लिए दबाव नहीं बनाया जा रहा था।

शव को लेकर जाती पुलिस।

स्कूल प्रबंधन भी बच्चियों के घर पहुंचा, जताई शोक संवेदना
दोनों बहनों की मौत की सूचना पाकर सेंट्रल एकेडमी शाहपुर की प्रधानाचार्य निवेदिता कौशिक की अगुवाई में शिक्षकों का समूह भी उनके घर पहुंचा और शोक संवेदना जताई। डायरेक्टर सृंजय मिश्रा भी स्कूल की शाहपुर शाखा पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद शोकसभा का आयोजन किया गया। शोक में बुधवार को स्कूल बंद रहेगा।

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मौके पर पहुंचे आला अधिकारी।

शनिवार को पीटीएम में नहीं आए थे पिता
स्कूल में छमाही परीक्षा का आयोजन किया गया था। शनिवार को इसके लिए पैरेंट टीचर मीटिंग (पीटीएम) का आयोजन किया गया था। मगर, दोनों बहनों के परिवार से कोई नहीं आया। बड़ी बहन मान्या ने पिता के कृत्रिम पैर में परेशानी आने का हवाला दिया था, जिसके बाद मान्या ने अभिभावक के रूप में छोटी बहन के रिपोर्ट कार्ड पर हस्ताक्षर किया था।

गोरखपुर समाचार।

पहले भी हो चुकी हैं परिवार के साथ आत्महत्या की घटनाएं

गोरखपुर शहर में परिवार के साथ आत्महत्या करने की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। इन घटनाओं से शहर हिल गया है। मंगलवार को हुई घटना ने एक बार फिर शहरवासियों को झकझोर कर रख दिया। हर जुबां पर पिता और दोनों बेटियों के आत्महत्या की खबर चर्चा में थी।  

  • आठ दिसंबर 2015 : खोराबार के पोछिया ब्रह्म स्थान केवटान टोला निवासी दिलीप निषाद ने पत्नी माया और 10 माह के बच्चे लकी के सिर पर प्रहार कर हत्या कर दी थी और खुद भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था। पत्नी व बेटे का शव विस्तर में था तो बेड के पास ही उसी कमरे में दिलीप भी फांसी से लटका था।
  • सात सितंबर 2017 : शाहपुर के शक्तिनगर में महिला शोभा अपनी बड़ी बेटी एंजल, बेटे अथर्व और छोटी बेटी आराध्या संग पंखे से लटक गई थी। घटना में शोभा व उसकी बड़ी बेटी की मौत हुई थी जबकि दो बच्चे बच गए थे।
  • 18 मई 2018 : कैंट इलाके के महादेव झारखंडी निवासी महिला शशि सिंह ने पहले बेटी दीक्षा उर्फ एंजल और बेटे नववैध का गला दबाकर मार दिया था और खुद फांसी लगाकर सूसाइड कर ली थी। बच्चों का शव कमरे में विस्तर पर पड़ा था और महिला बेड के बगल में फंदे से लटकी थी। पति संतोष ने भी पहले ही आत्महत्या कर ली थी।
  • चार फरवरी 2019 : राजघाट निवासी व्यापारी रमेश गुप्ता ने पूरे परिवार संग आत्मघाती कदम उठाया था। रमेश ने पत्नी सरिता, बेटी रचना, पायल व छोटे बेटे आयुष को खाने में पहले जहर दे दिया फिर खुद ट्रेन के आगे कूद गए थे। घटना में व्यापारी रमेश, पत्नी सरिता, पायल, आयुष की मौत हो गई थी। जबकि, एक बड़ा बेटा व बेटी रचना बच गई थी।
  • 6 मई 2020 : पिपराइच के उनौला स्टेशन के पास पूजा नाम की महिला तीन बेटियों संग ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
  • 22 अक्टूबर 2021 : खोराबार के भैसहा निवासी मंजू देवी बेटे अनूप व बेटी अमृता के साथ आग लगा ली थी। जिसमें बच्चों की मौत हो गई थी और महिला बच गई थी।
गोरखपुर समाचार।

बेटियों की फीस 37,120 रुपये देने में असमर्थ हूं, थोड़ा समय दे दें
बेटियों की पांच माह की बकाया फीस ने जीतेंद्र को मानसिक तौर पर परेशान कर रखा था। यही कारण है कि उन्होंने सेंट्रल एकेडमी के प्रधानाचार्य के नाम पत्र लिखा था। पत्र में जिक्र किया था कि मान्या और मानवी श्रीवास्तव का पिता आपसे कहना चाहता हूं कि मेरी बच्चियों की पिछली फीस 37,120 रुपये बकाया है, जोकि इस समय देने में मैं असमर्थ हूं। कृपया थोड़ा कष्ट करके कुछ समय प्रदान करें। इस बीच मैं बकाया फीस चुका दूंगा। कृपया मेरी बच्चियों को उनकी कक्षाओं में पढ़ने की अनुमति दें। 15-04-2022 तक सारी फीस जमा कर दूंगा। यही बात उसकी बड़ी बेटी मान्या ने अंग्रेजी में लिखा था।