यूपी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लगता है… इंडिया का अगुवा उनकी पार्टी सपा है… वही तय करेंगे किसको कितनी सीटें मिलेगी… जिसको वो जितनी सीटें देगी उसे वो स्वीकार करना होगा… लेकिन इसी दौरान आरएलडी ने एक ऐसी बात कही जिससे लगने लगा… यूपी में कांग्रेस की राजनीति उभरने लगी… उसकी स्वीकार्यता अखिलेश के सहयोगी जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी को भाने लगी है… आरएलडी के नेताओं के दिलो दिमाग में कांग्रेस की छवि स्थायी तौर पर टिक गई… कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजनीति पर विश्वास लगता है आरएलडी के नेता यूपी में अखिलेश यादव से ज्यादा करने लगे हैं… इसलिए तो आरएलडी ने कांग्रेस की उस मांग के औचित्य पर अपनी मुहर लगा दी… जो वो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से कर रहे हैं… अखिलेश उतनी सीटें कांग्रेस को देने के लिए तैयार नहीं हैं… लेकिन आरएलडी को लगता है… सपा को कांग्रेस को उतनी सीटें तो जरूर देनी चाहिए…


दरअसल आरएलडी के यूपी अध्यक्ष रामशीष राय ने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी के लिए समर्थन जताया है… रामशीष राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राजनीतिक स्थिति कांग्रेस के लिए अनुकूल हो रही है… कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए… उन्होंने ये बात भी कही कि कांग्रेस के पास यूपी में 2009 के लोकसभा चुनावों से अपनी स्थिति वापस पाने की क्षमता है… अपनी इस बात को राजनीति की कसौटी पर सत्य साबित करने के लिए रामशीष राय कहते हैं…


केवल राजनीतिक नहीं बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों के गैर-राजनीतिक लोग भी कांग्रेस के बारे में बात करने लगे हैं… ये एक बड़ा बदलाव है जिसे हम सभी कम से कम UP में देख और स्वीकार कर रहे हैं… इसलिए, कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करना होगा…


उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक आबादी भी कांग्रेस के समर्थन में दिखाई दे रही है…इमरान मसूद की कांग्रेस में वापसी से पश्चिम UP में अल्पसंख्यकों के बीच कांग्रेस की पैठ और मजबूत हो सकती है…कांग्रेस के पास अवसर है कि वह फिर से 2009 के लोकसभा चुनाव की स्थिति में आ जाए… कांग्रेस ने 2009 के चुनावों में 21 सीटें जीती थीं, जबकि SP और BSP ने 23 और 20 सीटें जीती थीं… इस चुनाव में BJP और RLD को 10 और पांच सीटें मिलीं थीं… वही इस समय सपा प्रमुख अखिलेश यादव दावा कर रहे हैं कि सपा विपक्षी गठबंधन के प्रमुख घटक के रूप में उभर रही है… अखिलेश ने तो यहां तक कह दिया था कि सपा ही अगले साल के आम चुनावों से पहले INDIA के घटकों, मुख्य रूप से RLD और कांग्रेस के सीट बंटवारे में अहम भूमिका निभाएगी… इस लिहाज से रामशीष राय का कांग्रेस के पक्ष में बोलना अहम माना जा रहा है…

एक तरह से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनकी ही सहयोगी पार्टी के नेता उन्हें संकेत दे रहे हैं… एक तरह से चेता रहे हैं… कांग्रेस की जो मांग है… उन्हें कांग्रेस की उस मांग को पूरी करनी चाहिए… सवाल ये भी है कि कांग्रेस का खुलकर समर्थन आरएलडी क्यों कह रही है… दरअसल RLD अपने पदाधिकार‍ियों से जमीनी हकीकत जानने की कोशिश कर रही है… चर्चा है कि RLD में मुस्लिम नेताओं के एक समूह ने पार्टी नेतृत्व को सुझाव दिया है कि SP की कीमत पर कांग्रेस की उपेक्षा करना ठीक नहीं है… ऐसा करने से आरएलडी के अल्पसंख्यक वोटों को सहेजने की कोशिशों को नुकसान पहुंच सकता है… 2013 के मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगों के बाद मुस्लिम समुदाय और जाटों के बीच तनावपूर्ण संबंध हो गए थे… यही जाट आरएलडी के मूल वोट हैं… ऐसे में आरएलडी की राजनीतिक जमीन दरकने लगी थी… इसी आशंका को देखते हुए RLD प्रमुख जयंत चौधरी जाटों और मुसलमानों के साथ बीच खाई को पाटने के लिए भाईचारा सम्मेलन आयोजित करने पर जोर दे रहे हैं… मुसलमान परंपरागत रूप से समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान करते रहे हैं…