एक के बाद एक अखिलेश को मिल रहा झटका… बावजूद इसके बेफिक्र क्यों नजर आ रहे अखिलेश ?
स्वामी प्रसाद मौर्य सपा छोड़ने की दे रहे धमकी… अखिलेश क्यों अब मानने लगे स्वामी के सपा में रहने से नहीं होने वाला है फायदा
पल्लवी पटेल के भयंकर बोल से भी अखिलेश के चेहरे से नहीं हटी मुस्कुराहट… क्यों अखिलेश कह रहे सब ठीक ठाक है !
ऐसा सबको दिख रहा है… सपा की परेशानी घटने का नाम ही नहीं ले रही है… लोकसभा चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है… वैसे वैसे जिन्होंने उन्होंने दिया था सहारा वो उनके खिलाफ हो गए… बावजूद इसके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव टेंशन फ्री नजर आ रहे हैं… फिर चाहे हिंदू धर्म के लिए लगातार अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य से अब दूरी बनाने की बात हो या पल्लवी पटेल का मौजूदा एक्शन… ऐसा लग रहा है कि कहीं न कहीं अखिलेश यादव को ये एहसास हो गया है… सामने वालों के हर एक्शन पर तल्ख रिएक्शन देना जरूरी नहीं है… वैसे अखिलेश के आलोचक कह रहे हैं… या तो अखिलेश कन्फ्यूज हैं या अपने कोर वोटर्स को कन्फ्यूजन में रखना चाहते हैं… इसी तरह राज्यसभा चुनावों के लिए सलेक्ट किए कैंडिडेट्स के नाम से लगता है कि उन्हें शायद अपने पीडीए फार्मूले पर भी शक होने लगा है…. ऐन चुनावों के मौके पर सहयोगी पार्टी अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल की नाराजगी या स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा हो, पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं मान रहे हैं… लेकिन अखिलेश और उनकी पार्टी दोनों ही नेताओं को लेकर डैमेज कंट्रोल के मूड में नहीं दिख रहे हैं…
दरअसल उत्तर प्रदेश से खाली हो रही 10 राज्यसभा सीटों में से 3 सीटें जीत सकती है… जिसके लिए पार्टी ने पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, अभिनेता से नेता बनी जया बच्चन और दलित रामजी लाल सुमन को कैंडिडेट बनाया है…. इनमें से आलोक रंजन और जया बच्चन कायस्थ परिवार से आते हैं… पल्लवी पटेल को इन दोनों के नाम पर आपत्ति है… वैसे देखा जाए तो यूपी में कायस्थ बीजेपी के हार्ड कोर वोटर हैं… इसके साथ ही जब बीजेपी खुद अतिपिछड़ों को राज्यसभा का टिकट ही नहीं भारत रत्न भी बांट रही है तो ऐसे समय समाजवादी पार्टी के टिकट किसी भी पिछड़े कैंडिडेट को नहीं मिलना यही दिखाता है कि अखिलेश यादव खुद अपने ही पीडीए फार्मूले के साथ दूसरी रणनीति को भी साथ लेकर चल रहे हैं…
मैनपुरी में अखिलेश ने इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं दिया… मौर्य के इस्तीफे के बारे में पूर्व सीएम ने कहा, हम पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और समाधान निकालेंगे…. पटेल के राज्यसभा चुनाव में मतदान नहीं करने पर अखिलेश ने कहा कि भाजपा और उसके लोग पीडीए से घबरा रहे हैं… मुझे उम्मीद है कि हमारा सहयोगी दल अपना दल-कमेरावादी पीडीए की लड़ाई को मजबूत करेगा….दरअसल अखिलेश को पता है कि अपना दल कमेरावादी बीजेपी की ओर जा नहीं सकती क्योंकि वहां अपना दल सोनेलाल की अनुप्रिया पटेल पहले से मौजूद हैं और दोनों में छत्तीस का आंकड़ा है. समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़कर पल्लवी पटेल विधायक बनीं थीं…. इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं रहने में ही पल्लवी पटेल की भलाई है…
वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य इधर काफी दिनों से हिंदू धर्म को टार्गेट करने का बीड़ा उठाए हुए थे… रामचरित मानस के पन्नों को जलाने से लेकर हिंदू धर्म के देवी देवता तक को टार्गेट करके वो लगातार सुर्खियां बटोरते रहे हैं… आश्चर्य ये रहा कि समाजवादी पार्टी में लगातार विरोध के बावजूद पार्टी में उनके बयानों को लेकर कोई पूछताछ नहीं की गई… इसका सीधा मतलब ये निकाला जाने लगा था कि कहीं न कहीं इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का उन्हें आशीर्वाद हासिल है… अचानक खबर आई है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश यादव से नाराज हो गए हैं…. उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया… तो क्या ये मान लिया जाए कि अखिलेश अब स्वामी प्रसाद मौर्य से उनके हिंदुत्व विरोधी बयानों के चलते किनारा करना चाहते हैं…उधर जिस तरह की बातें स्वामी प्रसाद मौर्य कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया है….ये सवाल करने पर कि क्या वो पार्टी छोड़ रहे हैं ? स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं कि हमने महासचिव पद से इस्तीफा दिया है और अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पाले में है… हम उनके अगले कदम का इतंजार कर रहे हैं… उसके बाद ही आगे कोई निर्णय लिया जाएगा..
स्वामी प्रसाद की बातों से लगता है कि अब बातचीत की गुंजाइश नहीं बची है…. क्योंकि अखिलेश अब डैमेज कंट्रोल के मूड में नहीं हैं और मौर्य को भाव नहीं देने वाले हैं… अखिलेश को पता है कि हिंदुत्व के लिए अपशब्द बोलने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को बीजेपी अपने साथ लेगी नहीं… बीएसपी में अगर स्वामी प्रसाद मौर्य वापसी भी करते हैं तो इससे पार्टी को कोई नुकसान नहीं होने वाला है…. व्यक्तिगत रूप से स्वामी प्रसाद अपनी सीट नहीं जीत सकते हैं…. इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं होने पर मौर्य अपना नुकसान खुद करा बैठेंगे…
इधर यूपी में समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वोट थोक के भाव में मिलते रहे हैं… इसके बावजूद अखिलेश यादव ने अपने राज्यसभा के उम्मीदवारों की लिस्ट में एक भी मुस्लिम कैंडिडेट का नाम शामिल नहीं किया है… दरअसल अखिलेश को मुस्लिम वोटों की चिंता नहीं है… कारण ये है कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन का मन बना लिया है… आरएलडी के साथ छोड़ने के बाद अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर काफी गंभीर हो गए हैं…. यही कारण है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने का उन्होने घोषणा कर दी है…. जबकि पहले वो राहुल गांधी की यात्रा को लेकर काफी इफ और बट थे. अखिलेश को यकीन है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद मुस्लिम वोट इंडिया गठबंधन को ही जाएगा… यही कारण है कि वो मुस्लिम वोटों के लिए उतने गंभीर नहीं दिख रहे हैं…