आतंकियों से लोहा… कुर्बान हो गया देवभूमि का लाल | आंसुओं के एक-एक बूंद को रुचिन सिंह रावत पर फक्र है… आप याद आएंगे रुचिन….

चला गया वो… उत्तराखंड का लाल देश पर कुर्बान हो गया
आत्मा रो रही… परमात्मा को याद कर रहा है… वीरो के साथ ही ऐसा क्यों हुआ ?
उत्तराखंड को नाज है… वो वीरता से लड़ा… देश के लिए मर मिटा

मां रो रही है… बेटा देश के लिए मर मिटा… पिता गमगीन है… उसका बहादुर बेटा नहीं रहा… पत्नी को उनकी जिंदगी से वफा की उम्मीद थी… मान कर चल रही है… जबतक वो हैं… तबतक उसकी जिंदगी में सुहाग की लालिमा बनी रहेगी… वो जबतक है…तबतक अपने पति का साथ देगी… घनघोर विपत्तियों में भी उसके दामन को उसका पति उसका साथ नहीं छोड़ेंगे…लेकिन अब ऐसा हुआ नहीं… चला गया वो… लौटकर कभी नहीं आएगा…उसकी जिंदादिली से लेकर मुस्कुराट याद आएंगी… अब उसकी वीरता की यादे यादों में ही रह जाएगी…. उसका बेटा फक्र तो करेगा… लेकिन पिता के साथ ना होने के एहसास के साथ हमेशा जीएगा… अब कौन बताएगा… क्या उसके लिए अच्छा है… क्या उसके लिए बुरा है… अब कौन बताएगा… जिंदगी को जीने के लिए लड़ना है… संघर्ष करना है… लड़ते ही जाना है… क्योंकि उसका पिता. देवभूमि का रहने वाला वो वीर सिपाही देश के लिए मर मिटा… जम्मू कश्मीर में आतंकियों की कायराना हरकत का शिकार बन गए….

5 मई का दिन उत्तराखंड के लोगों के लिए एक मनहूसियत से भरी खबर लेकर आयी.. जम्मू कश्मीर उत्तराखंड का लाल शहीद हो गया… 5 जवानों में से एक वो भी था… जो देश के लिए कुर्बान हो गया… सेना और सीआरपीएफ की जॉइंट टीम ने आतंकियों को ढेर करने के लिए तलाशी अभियान चलाया हुआ था… इस दौरान आतंकवादियों से कड़ी मुठभेड़ हो गयी… आतंकियों ने विस्फोटक से ब्लास्ट किया… शहीद होने वाले जवानो में उत्तराखंड के जवान रुचिन सिंह रावत भी शामिल हैं… रुचिन सिंह रावत चमोली जिले की गैरसैण तहसील के कुनिगढ़ गांव के रहने वाले थे… उनके परिवार में उनके माता पिता, पत्नी और एक बेटा है… शहीद रुचिन की तैनाती जम्मू कश्मीर के उधमपुर यूनिट में थी. वे 9 पैरा में कमांडो थे…

रुचिन रावत की उम्र 30 साल थी… 2009-10 में सेना में भर्ती हुए थे… रुचिन अपनी पत्नी और बेटे के साथ जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में ही रहते थे…उसकी पत्नी ने ही गैरसैंण में अपने माता-पिता को पति के शहीद होने की सूचना दी… सोचिए जब सूचना दे रही होगी… कलेजा तब किसतरह फटकर बाहर निकल आया होगा… सोचिए जिस दिन सचिन इस दुनिया को छोड़कर चला गया… उससे पहले वो पल भी गुजारे होंगे… वो खुशियां भी बांटी होगी… बेटे को प्यार से पुचकारा भी होगा… गले से लगाया भी होगा… अपना आशीर्वाद भी दिया होगा… हौसला भी दिया होगा… ढाढ़स भी बढ़ाया होगा… पत्नी से घर परिवार… मात-पिता सबके बारे में बात की होगी… कुछ प्लान भी किया होगा… वो शहीद होने से पहले अपनी पत्नी से सबकुछ साझा किया… जिंदगी को जीने का भरपूर प्लान बनाया होगा… लेकिन अब वो प्लान अधूरा ही रह गया… सचिन आतंकियों की दहशतगर्दी से लड़ते लड़ते देश पर मर मिटा… शहीद हो गया…

रुचिन अपने पीछे दादा-दादी, माता-पिता, पत्नी और एक चार साल के बेटे को रोता बिलखता छोड़ गए हैं… रुचिन की पत्नी और बेटा उनके साथ जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में ही रहते हैं…रुचिन काफी हंसमुख स्वभाव का था.. वो जब छुट्टी में गांव आते थे तो सामाजिक कार्यों में खूब बढ़-चढ़कर भाग लेते थे…अब रुचिन का गांव…उसका अपना कुनीगाड़ गांव गमगीन है… कुनीगाड़ गांव में मातम है… बहरहाल जम्मू कश्मीर का सेना का ये सर्च अभियान लगातार जारी है, राजौरी के इस पर्वतीय क्षेत्र में 3 -4 आतंकियों के छुपे होने की आशंका है…. जम्मू कश्मीर में आतंकियों के ठिकाने तलाश कर उन्हें ढेर करने के लिए सेना लगातार इस तरह के अभियान चला रही है… पिछले कुछ महीनो में कई आतंकियों को ढेर किया जा चुका है… और उत्तराखंड के शहीदों में एक और नाम जुड़ गया है… वो रुचिन सिंह रावत…