कहते हैं बीएसपी प्रमुख मायावती की राजनीति को समझने में बड़े से बड़े राजनीतिक धुरंधरों को दिमाग की कसरत करनी पड़ जाती है… उन्हें ज्यादातर ये समझ ही नहीं पाते हैं… बीएसपी प्रमुख मायावती के दिलो दिमाग में आखिर क्या चल रहा है… जो चल रहा है… वो कितने दिनों तक स्थिर रहने वाला है… अब देखिए कांग्रेस ने बहुत कोशिश की बीएसपी प्रमुख मायावती की पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाए… अंदरखाने ढेर सारी बाते हुई… कई तरह की अटकले लगाई जाने लगी… कई तरह की बाते होने लगी… वैसे कहने वाले तो कह रहे हैं… कांग्रेस की अब भी ख्वाहिश है… मायावती यूपी में अकेले चुनाव ना लड़के 2024 की लड़ाई में इंडिया के साथ आए… सियासी गलियारे में चर्चा तो ये भी है… मायावती की राजनीति पर दबाव बढ़ाने के लिए ही कांग्रेस ने पार्टी अध्य़क्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को यूपी चुनाव लडने का मन बनाया है… कांग्रेस की ओर से इन प्रयासों के बावजूद ऐसा लगता है… बीएसपी अपने मूड को कांग्रेस के लिए पहले जैसा ही रखना चाहती है… ऐसा क्यों कह रहे हैं… इस रिपोर्ट को आखिर तक दिए पूरी बात समझ जाएंगे…
हाइलाइट्स
- एक तरफ कांग्रेस की चाहत रही बीएसपी उसकी दोस्ती हो जाए… दूसरी ओर बीएसपी ने कांग्रेस को एहसास करा दिया… वो उसकी सबसे बड़ी दुश्मन है
- पुराने संसद भवन में सांसदों का आखिरी दिन… बीएसपी ने अपने बोल से सबको चौंका
- संसद में बीजेपी पर नरम… कांग्रेस पर गरम… मायावती का 2024 को लेकर क्या है प्लान
पुरानी संसद भवन में आखिरी बहस में बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया… बीएसपी सांसद गिरीशचंद्र ने पार्टी लाइन पर बोलते हुए दलित और पिछड़ों की बुरी हालत के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया… माना जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती के इशारे पर बीएसपी ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के प्रति नरम रवैया रखा…19 सितंबर को नए संसद भवन से सदन की कार्यवाही शुरू हो चुकी है… लेकिन 18 सितंबर को पुराने संसद भवन के आखिरी सत्र में चर्चा के दौरान कई ऐसे पल आए, जिसने देश को चौंका दिया… देश की सबसे बड़ी पंचायत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण की विपक्ष ने तारीफ की, क्योंकि उन्होंने पहली बार जवाहर लाल नेहरू की प्रशंसा की… सभी राजनीतिक दल के नेता अपनी पार्टी लाइन पर बोलते नजर आए… बहस के दौरान नगीना के बीएसपी सांसद गिरीश चंद्र ने भी संसद और संविधान पर अपनी राय रखी और कांग्रेस पर निशाना साधा… इससे पहले संसद के विशेष सत्र के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने नरेंद्र मोदी और सरकार को बधाई दी थी… बीएसपी के इस बदले रवैये से यूपी की राजनीति में कयासबाजी का दौर शुरू हो गया है…
सोमवार को पुराने संसद भवन में हो रही आखिरी चर्चा के दौरान नगीना के बीएसपी सांसद गिरीश चंद्र ने कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को सम्मान नहीं दिया… अपने 40 साल के शासन के दौरान बाबा साहेब को भारतरत्न नहीं दिया… मंडल कमीशन की रिपोर्ट को कांग्रेस ने दबाए रखा… उन्होंने दावा किया काशीराम के कारण वीपी सिंह 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर सहमत हुए… उन्होंने राजस्थान में दलित की हत्या पर भी सवाल उठाया। इस दौरान वह बीजेपी पर नरम ही दिखे… उन्होंने दलित उत्पीड़न के लिए मध्यप्रदेश की सरकार की चर्चा की… मायावती ने 17 सितंबर को ही नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामना देकर यह साफ कर दिया था कि बीएसपी अभी बीजेपी के विरोध के मूड में नहीं है…इंजी गठबंधन के नेताओं का आरोप है कि मायावती सीबीआई और ईडी के डर के कारण बीजेपी के लिए नरम रवैया रखती हैं…
ऐसा नहीं है कि मायावती ने केंद्र सरकार को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर विपक्ष के हमलों से बचाया था… 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नहीं कराने पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी…इंडी गठबंधन के दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया था… उस समय मायावती के एक बयान ने ढाल का काम कर दिया… मायावती ने ट्वीट कर उद्घाटन समारोह के बहिष्कार को अनुचित बताया था… तब मायावती ने बयान जारी कर कहा था कि सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है… इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित हैं। विपक्ष को द्रौपदी मुर्मू के विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था…
बीएसपी प्रमुख मायावती के बदले तेवर विपक्षी पार्टियों के इंडिया के लिए शुभ संदेश नहीं कहा जा सकता है, खासकर 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य यूपी में विपक्ष के लिए अच्छा शगुन नहीं है… राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि मायावती लोकसभा चुनाव में बीजेपी से गठबंधन करेगी, ये धारणा गलत है… यूपी में बहुजन समाज पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी… मायावती पहले भी कई बार साफ कर चुकी हैं कि वह न तो INDIA के साथ हैं और न ही एनडीए के साथ… ऐसे में INDIA की हर सीट पर वन टु वन फाइट वाले प्लान की धज्जियां उड़ सकती है… यूपी में करीब 3 करोड़ दलित वोटर हैं, हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 12.9 प्रतिशत वोट मिला था… पार्टी को एक करोड़ 18 लाख 73 हजार वोट मिले थे… 2023 में हुए यूपी निकाय चुनाव में बीएसपी को 12 फीसदी वोट मिले थे, जिसे पार्टी का सबसे बुरा दौर माना जाता है.. 2019 में पार्टी को 19.43 प्रतिशत वोट मिले थे… मायावती अगले लोकसभा चुनाव में अकेले चुनाव में उतरती हैं तो 12 फीसदी वोट का फैक्टर INDIA पर भारी और बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है