पहले Ramcharitmanas पर विवाद शुरू किया… तब Akhilesh Yadav ने Swami Prasad Maurya का साथ दिया ,अब श्रीराम के शब्द को अपनी सियासत में उछाला… तो अब भी अखिलेश ने स्वामी के बोल का खुला समर्थन कर दिया, जय श्रीराम के नारे को बताया नकली… स्वामी की सोच को सच साबित करने के लिए अजबे तर्क दिया… योगी सुनेंगे तो कहेंगे गजब है…

पहले रामचरित मानस पर विवाद शुरू किया… तब अखिलेश ने स्वामी प्रसाद मौर्य का साथ दिया
अब श्रीराम के शब्द को अपनी सियासत में उछाला… तो अब भी अखिलेश ने स्वामी के बोल का खुला समर्थन कर दिया
जय श्रीराम के नारे को बताया नकली… स्वामी की सोच को सच साबित करने के लिए अजबे तर्क दिया… योगी सुनेंगे तो कहेंगे गजब है…

बीएसपी से सपा में आए सभी नेताओं को एक मंच पर बैठाकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य कॉन्फिंडेंस में थे… ऐसा उनको लग रहा होगा… लेकिन उन्हें ये मालूम ही नहीं हुआ वो ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार बन चुके हैं… कभी रामचरितमानस की कुछ चौपाईयों को आपत्ति जताकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने तिल का ताड़ बनाया था… तब अखिलेश उनके समर्थन में आकर शूद्र पॉलिटिक्स की उत्पत्ति कर बैठे… अब बीएसपी प्रमुख मायावती के बेस वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए स्वामी वो नारा दिया… जो 90 के दशक की राजनीति को शूट करता था… लेकिन अब शायद ऐसा है नहीं… लेकिन स्वामी, को लगता है… ऐसा है… इस सिद्ध करने में लग गए… तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ऐसा लगा हो कि विवाद होगा तो उन्हें जय श्रीराम को लेकर एक अलग ही तर्क दे दिया… जो कमोबेश ठीक वैसा ही जैसा कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ों यात्रा के दौरान दिया था… चलिए सबसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के दिए नारे को सुनाते हैं…

अब अखिलेश को ऐसा लग रहा है… स्वामी ने जो नारा दिया है… उसपर विवाद हो सकता है… इसलिए उस नारे में स्वामी जिस श्रीराम का माखौल उड़ा रहे हैं… अखिलेश उसपर अपना तर्क दे रहे हैं…

अखिलेश कह रहे हैं… भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने क्या ये नारा बुलंद नही किया था… हाथी नहीं गणेश है, ब्राह्मा विष्णु महेश है…हमारे नारे में तो केवल एक भगवान जी का नाम आ रहा है… वो भगवान जी का नाम नहीं है क्योंकि असली नाम भगवान जी का कोई लेता है तो वो जय सियाराम है… जय श्रीराम नहीं लेता है… नाम सिया है… इसलिए हम बहस में नहीं पड़ना चाहते हैं… अखिलेश बहस में तो नहीं पड़ना चाहते हैं… लेकिन एक नई बहस की शुरुआत तो कर दी…अखिलेश ने जो बात रायबरेली अभी कही है… भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वही बात कही थी… बीजेपी और RSS को जय सियाराम कहने की नसीहत दी थी और जय श्रीराम और जय सियाराम में फर्क बताया था..राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब मध्य प्रदेश को आगर-मालवा में थी… इस दौरान आगर में एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने ‘जय श्रीराम’, ‘जय सियाराम’ और ‘हे राम’ के नारों की अपने अंदाज में व्याख्या की…जय सियाराम’ इसका मतलब क्या है? जय सीता और जय राम, मतलब सीता और राम एक ही हैं। इसलिए नारा है जय सियाराम या जय सीताराम..

भगवान राम सीता जी की इज्जत के लिए लड़े.. हम जय सियाराम कहते हैं…
जय श्रीराम, इसमें हम राम भगवान की जय कहते हैं…बीजेपी के लोग जय श्रीराम करते हैं, लेकिन जय सियाराम और हे राम क्यों नहीं करते…
गांधी जी हे राम कहते थे, उनका मतलब था, जो भगवान राम है, वो भावना हमारे दिल में है। और उसी भावना को लेकर हमें जिंदगी जीना है… ये हैं हे राम

तो अखिलेश ने राहुल गांधी वाली ही बात कही… अपने पाले में दलितो वोटरों को लाने के चक्कर में फिर से धर्म की राजनीति को मौका दे दिया… अब अगर बीजेपी की ओर से जवाब आएगा… संत महत्मा कुछ सवाल जवाब करेंगे… तो कहेंगे… ये सब मोदी-योगी का किया धड़ा है… वैसे अखिलेश को ये जान लेना चाहिए… श्रीराम में श्री ही सिया है… मां सीता है… उसी श्रीराम को अखिलेश ने नकली बताया है… तो विवाद की शुरुआत हो चुकी है… स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में केस दर्ज किया गया है…