स्वामी ने फिर लिया ‘श्रीराम’ का नाम… श्रीराम के सिद्धांत पर उठा दिया सवाल
पहले रामचरितमानस की चौपाई पर सवाल उठाकर कर दिया बवाल… काफी दिनों तक सुर्खियां बंटोरी
अब एक और बवाल को स्वामी लेकर आए… कहने लगे- ‘रामराज हटाओ- आरक्षण बचाओ’



तो क्या कहेंगे… ऐसा कहने के लिए सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य क्यों तैयार हुए है… क्या सुर्खियों में रहने की चाहत ने स्वामी प्रसाद मौर्य को ऐसा कहने लिए उतावला बनाया… ऐसा लगता तो नहीं है… स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे अनुभवी नेता को सुर्खियों की जरूरत होगी… कुछ बात तो ऐसी है… जिसे स्वामी चाहते हैं… उसके लिए श्रीराम को आगे रखकर कुछ कहना जरूरी है… ताकि मुद्दा बने… और मुद्दे से 2024 के लिए रास्ते तैयार हो… बसपा से वाया भाजपा होते हुए सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बयानबाजी को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं… उन्होंने रामचरितमानस की चौपाई पर टिप्पणी की तो प्रदेश की सियासत में हलचल मच गई… अपनी ही पार्टी के कई विधायकों की आलोचना के भी शिकार हु… सपा शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव पद से नवाजा… पार्टी के नेताओं के बीच स्वामी प्रसाद को दो ध्रुव नजर आए… इसके बावजूद स्वामी प्रसाद अपने बयान पर अडिग रहे…
इस बीच उन्होंने बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा स्थापित करके दलितों और पिछड़ों के बीच संदेश देने का प्रयास किया… प्रतिमा अनावरण समारोह में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संविधान और आरक्षण बचाने की अपील की… सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हर कार्यक्रम में आरक्षण का मुद्दा उठाते रहे हैं… एमएलसी चुनाव में पार्टी उम्मीदवार उतारते समय भी आरक्षण का ही दांव चला गया है… ऐसे में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों की नियुक्ति में आरक्षण का मुद्दा सामने आते ही स्वामी प्रसाद ने लपक किया है…उन्होंने ट्वीट किया कि

रामराज धोखा है… पहले भी रामराज के नाम पर कभी शंबूक का सिर काटा गया तो कभी एकलव्य का अंगूठा और अब दलितों, आदिवासियों व पिछड़ों का आरक्षण काटा जा रहा है… ये संविधान प्रदत्त आरक्षण खत्म किया जा रहा… जागो सावधान हो जाओ… रामराज हटाओ-आरक्षण बचाओ…
स्वामी प्रसाद कहते हैं कि आरक्षण बचाने के लिए जल्द ही जिलेवार अभियान शुरू करेंगे… गाजीपुर, कुशीनगर, गोरखपुर सहित विभिन्न जिलों में आयोजित कार्यक्रम में वह आरक्षण बचाने की अपील कर चुके हैं… जल्द ही अन्य जिलों में जाएंगे। लोगों को बताएंगे कि आरक्षण बचाने के लिए भाजपा को सत्ता से हटाना होगा…लेकिन बीजेपी को सत्ता से अगर हटाना है… तो श्रीराम के नाम को क्या हटाना जरूरी है… रामराज के सिद्धांत से इतना बैर क्यों है… रामराज तो एक ऐसा सच है… जिसमें सबको समान नजरों से देखने की बात है… सबकी बात सुनी जाने की बात है… भारत क्या दुनिया कहती है… किसी भी सरकार को अगर जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना है तो रामराज की धरणा पर चलना जरूरी है… और अखिलेश के स्वामी है… कि राजकाज में रामराज की धारणा को ही नकारने की बात कह रहे हैं…