यदि आपका बच्चा दो से तीन दिन में शौच करने जा रहा है। मल त्यागने में उसे जोर लगाना पड़ता है। मल बहुत ज्यादा सख्त है। परिजन इसे नजरअंदाज न करें। यह लक्षण पेट में कब्ज के हैं। इसका खुलासा पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. मोइनक सेन शर्मा के एक अध्ययन में हुआ है।
यहां ओपीडी में आने वाले हर पांचवें बच्चे में कब्ज की समस्या है। तीन दिन चलने वाली ओपीडी में हर हफ्ते करीब करीब 30 बच्चे कब्ज के आते हैं। एक साल से पांच साल के 80 फीसदी और पांच साल से ऊपर के 20 फीसदी बच्चों में कब्ज की समस्या सामने आयी है। डॉक्टर इसका कारण गलत खानपान और खेलकूद गतिविधियों से बच्चों का दूर होना बता रहे हैं।
शौच का प्रशिक्षण दें
डॉ. मोइनक कहते हैं कि डेढ़ साल से तीन साल के बच्चों को पेशाब और शौच के लिए प्रशिक्षण दें। सुबह नाश्ता, दोपहर व रात में भोजन कराने के 15 मिनट बाद इन्हें शौचालय में ले जाएं। यह आदत में शामिल करें। डॉक्टर का दावा है कि लखनऊ में 10 फीसदी से ज्यादा बच्चे कब्ज से परेशान हैं।
दूध से बढ़ी परेशानी, 300 एमएल से ज्यादा न दें
डॉ. मोइनक कहते हैं कि पांच साल तक के बच्चों में कब्ज का बड़ा कारण अधिक दूध का सेवन। परिजनों को लगता है कि अधिक दूध पिलाने से बच्चा मोटा और तन्दरुस्त होगा लेकिन ऐसा नहीं है। ज्यादा दूध के सेवन से खून की कमी भी होती है। कब्ज की समस्या और बढ़ जाती है। बच्चे को 300 एमएल से अधिक दूध न दें। बच्चे को फल, सब्जी, रोटी, दाल व चावल खिलाएं। पोष्टिक खाना सबसे बेहतर है।
आंतों को जाम कर रहा गलत खानपान
पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. मोइनक सेन शर्मा बताते हैं कि नूडल्स, पिज्जा व बर्गर आदि गलत खानपान को बच्चे पचा नहीं पाते हैं। यह सारी चीजें पेट मे जाकर आंतों को जाम कर देती हैं। जिसकी वजह से मल सख्त हो जाता है। बच्चे कई दिनों तक शौच करने नहीं जाते हैं।
कब्ज के अहम कारण
-मोबाइल और टीवी देखते समय शौच को रोक लेते हैं
-नूडल्स, बर्गर, पिज्जा व अन्य बाहर का खानपान
-शारीरिक गतिविधियों में बच्चों की भागीदारी का कम होना
-सूखी खांसी व सर्दी में दी जाने वाली दवायें
यह चीजें शामिल करें
-छिलके वाले फल और दाल
-हरी सब्जियां
-छोला व राजमा
-सोयाबीन
-चोकर वाली रोटी