Vikas Dubey और Asah Ahmed के Encounter में एक बात है कॉमन ! दोनों ने मरने से पहले कुछ ऐसा किया जो कबूल नहीं हुआ !

सब कार पलटने का इंतजार करते रहे थे…. इधर योगी की पुलिस ने बाइक ही पलट दी
कार पलटी तो विकास दुबे ढेर हुआ था… बाइक पलटी तो माफिया का बेटा अतीक अहमद ढेर हुआ
विकास और असद के एनकाउंटर में समानता… दोनों मरने से पहले अपने अपने ईश्वर अल्लाह को याद किया था… लेकिन दोनों का ‘काल’ तो एक ही निकला !

ना जाने कितने भविष्यवक्ताओं विश्लेषण कर करके ये राग अलापा… माफिया अतीक अहमद की कार पलटने वाली है… अब गया कि तब गया… सब अतीक की ओर देख रहे थे… अतीक अब जाएंगे… कि तब जाएंगे… कभी भी चले जाएंगे… माफिया अतीक अहमद ने भी पूरा अनुमान कर लिया था… बात बात पर अपनी ये बात कहता रहा… अपनी बात पर अड़े रहा … डटे रहा… कहते रहा अपना तो खेल हो जाएगा… अपना तो एनकाउंटर हो जाएगा… वो खुद के संभावित एनकाउंटर को बिकरू वाले विकास दुबे से जोड़ रहा था… जिसकी गाड़ी पलटी तो वो ढेर हो गया था… लेकिन नातो अतीक का ध्यान उस ओर गया… और ना ही ऐसा अनुमान लगाने वालों की अनुभवी नजर उस ओर गई… जिस ओर यूपी एसटीएफ का ध्यान हमेशा से रहा… कैमरा की लाइट फ्लैश करते हुए वो अतीक पर डटे हुआ था… अतीक शुक्रिया अदा कर रहा था… बात बात पर मीडिया वालों को कह रहा था… आप लोग हैं… अपनी जान बच रही है… लेकिन वो भूल गया… उसका एक छोटा बेटा असद अहमद भी है… जिसने उमेश पाल को मौत के घाट उतारा था… बेवक्त की उसकी जिंदगी खत्म कर दी … उस ओर मीडिया के कैमरे नहीं हैं… तो कुछ भी हो सकता है…
वहीं इस बार कार पलटी हुई नहीं मिली… जिस वाहन पर आवाजाही अतीक कर रहे हैं… वो सही सलामत है… लेकिन बाइक पर उसके बेटे असद ने सवारी की… वो पलट गई… असद पर कयामत का कहर भारी पड़ गया वो ढेर हो गया… विकास दुबे के साथ जो हुआ था… वैसा ही ठीक असद के साथ हुआ… अंतर बस इतना है… विकास कार पर था… और असद बाइक पर था… लेकिन बाकी सब सेम टू सेम है… विकास दुबे भी कानपुर देहात में पुलिस के अधिकारियों से लेकर पुलिस कर्मियों को ढेर कर फरार हो गया था… वो इधर उधर भाग रहा था… भागे भागे फिर रहा था… पुलिस को चकमा पर दे रहा था… असद भी उमेशपाल की हत्या कर पुलिस से बचने की खूब जोर अजमाइश की… जैसा तात्कालिक कामयाबी विकास दुबे का मिला… वैसा ही तत्कालिक कामयाबी असद अहमद को भी मिला…उसने भी 47 दिनों तक यूपी एसटीएफ को खूब छकाया… खूब पसीना बहाने के लिए मजबूर कर दिया…
विकास दुबे और असद अहमद दोनों का काल एक ही जांबाज पुलिस अधिकारी बना… उस अधिकारी का नाम अमिताभ यश है… जिसने कभी ददुआ को ठोका… ठोकिया को ठोका… जो योगी के शासन से लेकर अबतक एसटीएफ में हैं… एसटीएफ की अब कमान संभाल रहे हैं… जिन्होंने 5 साल 10 महीनों ने 50 से ज्यादा दुर्दांत अपराधियों को ढेर किया… जिसमें एक नाम विकास दुबे भी है… उसने कानपुर देहात के बिकरू में गिरफ्तार करने आयी पुलिस कर्मियों पर फायरिंग की थी… जिसमें कईयों की मौत हुई थी… हत्या कर वो फरार हो गया था… इधर उधर भागते भागते मध्यप्रदेश के उज्जैन में जाकर महाकाल की पूजा अर्चना की … अपनी जान बचाने काल बने अमिताभ यश से बचाने के लिए मन्नत मांगी… लेकिन ऐसा हुआ नहीं… यूपी एसटीएफ ने उसे उज्जैन में अपनी गिरफ्तार लिया… और कानपुर देहात आने से पहले पुलिस की गाड़ी पलट गई… वो भागने लगा तो पुलिस ने ढेर कर दिया… अब ठीक वैसा ही अतीक के छोटे असद अहमद के साथ हुआ… अब भी एसटीएफ में अमिताभ यश ही हैं… एडीजी के पद पर है… उन्ही की अगुवाई एसटीएफ की टीम असद को गिरफ्त में लेना चाहती थी… असद था कि एसटीएफ की टीम के हत्थे चढ़ नहीं पा रहा था… उसके कभी मेरठ में होने की सूचना मिलती… तो एसटीएफ की टीम जब वहां पहुंचती तो असद और उसके साथ उमेश पाल हत्याकांड एक और आरोपी मोहम्मद गुलाम दिल्ली पहुच जाता… दिल्ली एसटीफ की टीम पहुंचती तो उन दोनों को राजस्थान के अजमेर में ट्रेस किया जाता … कहा जा रहा है… विकास की तरह ही असद अहमद ने अजमेर शरीफ दरगाह जाकर अपनी जिंदगी की खैरियत के लिए दुआएं मांगी थी… अपनी जिंदगी की सलामती के लिए असद दरगाह में चादर चढ़ाकर आया था… लेकिन विकास की तरह असद की भी मन्नत कबूल नहीं हुई… काल बने अमिताभ यश और उनकी टीम झांसी में उन दोनों के आने की सूचना मिली… जहां प्रॉपर तरीके से घेराबंदी कर एसटीएफ की टीम ने असद और गुलाम को ढेर कर दिया…