लखीमपुर हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले, यूपी सरकार ने उनकी जमानत का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार के वकील ने कहा कि तिकुनिया कांड, बहुत बड़ा मामला है। अगर आशीष मिश्रा को जमानत मिली तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। इसलिए उप्र सरकार आशीष को जमानत न देने का अनुरोध करती है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे की जमानत रद्द कर दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। उस याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया था। 12 दिसंबर 2022 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि हम किसी विचाराधीन कैदी को कब तक जेल में रख सकते हैं? साथ ही कहा था कि आप ट्रायल का कुछ समय बताइए कि कब तक केस का नतीजा आ जाएगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा पेशी पर गया था।
UP सरकार ने माना, तिकुनिया कांड जघन्य अपराध था
इसपर आज सुनवाई के दौरान जवाब देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश AAG गरिमा प्रसाद ने कहा कि ये एक जघन्य अपराध है। ऐसे मामले में अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो समाज में गलत संदेश जाएगा।
…तो क्या हम मूकदर्शक बने रहें
आशीष मिश्रा की जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जब पीड़ित पक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जघन्य अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट को आरोपियों को जमानत नहीं देनी चाहिए। तो इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तो क्या हम मूकदर्शक बने रहें। कानून के तहत जमानत की मांग की सुनवाई करना और निर्णय देना हमारी शक्ति के अधीन है। आप दायरे का ख्याल रखें। इसके बाद दुष्यन्त दवे ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। आरोपी और उसके मंत्री पिता ने पीड़ितों को डराया-धमकाया है।
आशीष मिश्रा की यह फोटो 10 मई, 2022 की है, जब पुलिस उसे लखीमपुर कोर्ट में पेशी के लिए ले जा रही थी।
पढ़िए क्या हुआ था 3 अक्टूबर 2021 को
प्रदेश के लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हुई थी। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था। घटना में 4 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा भड़कने के बाद इस पूरे घटनाक्रम में 8 लोगों की जान गई थी।
लखीमपुर के तिकुनिया कांड का ये है पूरा घटनाक्रम
- 3 अक्टूबर को खीरी हिंसा कांड में एक पत्रकार, चार किसान व तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी।
- 4 अक्टूबर को खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय राज्यमंत्री के पुत्र आशीष मिश्र व 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ थाना तिकुनिया में मुकदमा दर्ज किया गया था।
- 4 अक्टूबर को ही खीरी हिंसा मामले में तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या व आगजनी के आरोप में 20-25 अज्ञात लोगों के खिलाफ दूसरा मुकदमा दर्ज।
- 8 अक्टूबर को पुलिस ने नोटिस देकर बयान के लिए आशीष मिश्र को बुलाया, लेकिन बीमारी के चलते पेश नहीं हुआ।
- 9 अक्टूबर को आशीष मिश्रा अपने अधिवक्ता अवधेश कुमार सिंह के साथ पुलिस लाइन पहुंचा। 12 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद उसे हिरासत में लिया गया। इसके बाद रात को रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और जेल भेज दिया गया।
- 11 अक्टूबर को पुलिस कस्टडी रिमांड पर सुनवाई हुई थी।
- 12 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक आशीष की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर।
- 14 अक्टूबर को आशीष मिश्रा को घटनास्थल पर ले जाया गया और रीक्रिएशन कराया गया था।
- 14 अक्टूबर को सीजेएम कोर्ट से आशीष की जमानत अर्जी खारिज हुई थी।
- 21 अक्टूबर को दोबारा पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्जी दी गई थी।
- 22 अक्टूबर को 48 घंटे की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर हो गई थी।
- 28 अक्टूबर को आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुनवाई जिला जज की अदालत में होनी थी। अभियोजन ने स्थगन अर्जी दी, तीन नवंबर नीयत
- 3 नवंबर को शोक प्रस्ताव के चलते जमानत अर्जी पर सुनवाई टली, 15 नवंबर नीयत की गई थी।
- 15 नवंबर को आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी जिला जज मुकेश मिश्रा ने खारिज कर दी थी।
लखीमपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकार से सवाल: पूछा- किसी विचाराधीन कैदी को कब तक जेल में रखा जाए
लगभग 1 महीने पहले भी लखीमपुर हिंसा केस में मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि हम किसी विचाराधीन कैदी को कब तक जेल में रख सकते हैं। साथ ही कहा है कि आप ट्रायल का कुछ समय बताइए कि कब तक केस का नतीजा आ जाएगा