बिहार के वो 10 बाहुबली जिनसे कांपता था बिहार | आज कोई जेल में है तो कोई कर रहा है प्रायश्चित…
बिहार के वो दस बाहुबली जिनसे कांपता था बिहार
वो बाहुबली जिनका दूसरा घर बन गया था जेल
किसी को पिता की हत्या ने बनाया बाहुबली कोई शौकिया बना बाहुबली
आज कोई जेल में है तो कोई कर रहा है प्रायश्चित
बिहार में एक बाहुबली की रिहाई के लिए सरकार का नियम बदलना इतना बड़ा मुद्दा बन चुका है कि अब नीतीश कुमार के सामने विरोध की कई आवाजें बुलंद हो रही हैं…इसके साथ ही अब बिहार में दूसर बाहुबलियों की चर्चा भी शुरू हो गई है…आज हम आपको अपने इस वीडियो में बिहार के उन 10 बाहुबलियों से रूबरू करवाएंगे जिनके नाम से एक समय लोग कांपते थे और ये बाहुबली राजनीति में भी बराबर का दखल रखते थे…तो चलिए शुरू करते हैं 10 बाहुबलियों की 10 कहानियां…जिनमें सबसे पहले बात होगी उसी चर्चित बाहुबली की जिसकी वजह से आज बाकियों को याद किया जा रहा है
आनंद मोहन, नाम ही काफी है
दरअसल अभी आनंद मोहन के लिए नीतीश सरकार ने कारा नियमों में ही बदलाव कर दिया है जिसके चलते अब जल्द ही आनंद मोहन रिहा भी होने वाले हैं। एक समय था जब कोसी बेल्ट में आनंद मोहन की तूती बोलती थी। तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब बिहार में अगला बनाम पिछड़ा की लड़ाई चल रही थी। वो उस दौर के पहले राजपूत नेता थे जिन्होंने भूमिहारों के साथ लालू यादव के खिलाफ झंडा बुलंद किया था।
सिवान का डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन
बाहुबलियों की इस लिस्ट में दूसरा नाम मोहम्मद शहाबुद्दीन है जिनकी कोराना काल में मौत हो चुकी है लेकिन तेजाब कांड से लेकर कई ऐसे कांड हैं जिनके बारे में पढ़ कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। सिवान के साहेब के नाम से मशहूर शहाबुद्दीन लालू प्रसाद यादव के खासमखास हुआ करते थे। एक वक्त था कि लालू इनसे ज्यादा भरोसा किसी पर नहीं करते थे। हालांकि आज की तारीख में उनके परिवार ने RJD से नाता तोड़ लिया है
रेलवे ठेकों का बेताज बादशाह सूरजभान सिंह
बाहुबलियों की चर्चा हो और सूरजभान सिंह का नाम न आए, ये कैसे हो सकता है। लोग कहते हैं कि एक समय पटना से लेकर गोरखपुर तक रेलवे टेंडरों में सूरजभान सिंह का जलवा था। 90 के दशक से अपनी धमक की शुरूआत करने वाले सूरजभान सिंह ने कभी पीछे का रास्ता नहीं देखा। पहले विधायक बने और फिर बाद में सांसद। लेकिन सूरजभान ये जानते थे कि कभी न कभी उन पर लगे दाग कुर्सी को बरकरार नहीं रहने देंगे। इसलिए उन्होंने पत्नी और भाई को राजनीतिक विरासत सौंप दी। अब वो बैकस्टेज पॉलिटिक्स करते हैं।
नीतीश को सिक्कों से तौलने वाले अनंत सिंह
बाहुबलियों की लिस्ट में चौथा नाम है अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार का जो पटना से सटे मोकामा में रॉबिनहुड की छवि रखते हैं। अनंत सिंह को एके 47 कांड में सजा हुई जिसके बाद उन्होंने अपनी विधायिकी गंवा दी। लेकिन मोकामा सीट पर उपचुनाव में इनकी पत्नी ने विधायक की कुर्सी बरकरार रखी। अपनी खरी बोली के लिए जाने वाले अनंत सिंह ने कभी मोकामा में नीतीश कुमार को सिक्कों से तौल दिया था। पुटुस हत्याकांड में अनंत सिंह का नाम उछलने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था। इसके बाद से उनके बाहर निकलने का रास्ता बंद होता चला गया।
पिता की हत्या ने बनाया डॉन
मूलरूप से रोहतास के नवाडीह के निवासी सुनील पांडेय के पिता बालू का कारोबार करते थे। इसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई। तब सुनील पांडेय बिहार से बाहर कहीं इंजीनियरिंग कर रहे थे। पढ़ने-लिखने में ठीक थे, लेकिन पिता की हत्या ने इन्हें विचलित कर दिया और ये बाहुबल के मैदान में कूद गए। इनकी धमक ऐसी थी कि साल 2000 में इन्होंने भोजपुर के पीरो से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कल का डॉन आज का मसीहा
इस लिस्ट में छठा नाम है पप्पू यादव का…वैसे इनका असली नाम तो राजेश रंजन है लेकिन अब बिहार में ये पप्पू यादव के नाम से ही जाने जाते हैं। पप्पू यादव ने भी 90 के दशक में ही बाहुबल के मैदान में कदम रखा। फिर वो आगे बढ़ते चले गए। सिर पर लालू का हाथ भी आ गया। उसी समय पप्पू पर CPI विधायक अजीत सरकार की हत्या का आरोप लगा। दोषी साबित होने पर अदालत ने पप्पू यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई। लेकिन उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और बरी कर दिए गए…फिलहाल पप्पू यादव लोगों की मदद करते हुए नजर आते हैं।
छपरा के नाथ प्रभुनाथ सिंह
बाहुबलियों की इस लिस्ट में सातवां नाम है RJD के कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह का जो कभी छपरा के नाथ नाम से भी मशहूर थे। एक समय में प्रभुनाथ सिंह ने यहां ऐसी धाक जमा ली थी, जिसका कई जोड़ नहीं था। 1990 के विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह ने जनता दल के टिकट पर भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके बाद वो नीतीश के साथ हो लिए, फिर बाद में लालू के साथ भी आए। लेकिन पूर्व विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में उन्हें हजारीबाग की अदालत ने दोषी ठहराया और अब वो जेल में हैं।
रिकॉर्डधारी बाहुबली काली पांडेय
इस लिस्ट में आठवां नाम है काली प्रसाद पांडेय का… वो नाम जो 80-90 के दशक में बाहुबलियों का गुरु कहा जाता था। काली पांडेय के ऊपर कई संगीन आरोप लगे थे। इसके चलते वो जेल भी जा चुके थे। इन्होंने 1984 में गोपालगंज सीट से लोकसभा के चुनावी मैदान में ताल ठोक दी। इनका प्रभाव कितना था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1984 के लोकसभा चुनाव में इन्हें रेकॉर्ड वोट मिले थे। काली पांडेय ने उस वक्त सारे देश में सबसे अधिक वोटों से जीतने वाले लोकसभा सदस्य का रेकॉर्ड बना डाला था।
दो राज्यों में असर वाला बाहुबली राजन तिवारी
इस लिस्ट नौवें नंबर पर राजन तिवारी का नाम भी शुमार है। राजन तिवारी पर हत्या और अपहरण के कई आरोप लगे थे। पड़ोसी यूपी में भी राजन तिवारी की तूती बोलती थी। ये दो-दो बार बिहार में विधायक बने। राजन तिवारी पर किडनैपिंग का आरोप साल 2005 में लगा था। फिलहाल राजन तिवारी यूपी की फर्रूखाबाद जेल में बंद हैं। हालांकि इनकी सियासी विरासत इनके भाई राजू तिवारी ने संभाल रखी है जो अभी लोजपा के नेता हैं।
वैशाली के बाहुबली रामा किशोर सिंह
बाहुबलियों की लिस्ट में दसवें नंबर पर हैं बिहार के वैशाली जिले से ताल्लुक रखने वाले रामा किशोर सिंह जो कई दफे महनार विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। 2014 में मोदी लहर में उन्होंने RJD के दिवंगक नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लोकसभा चुनाव में हरा दिया था। लेकिन उसके बाद छत्तीसगढ़ के कारोबारी जयचंद वैद्य के अपहरण कांड में इन्हें जेल जाना पड़ा….तो ये बिहार के टॉप टेन बाहुबली…आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं और इस तरह की और खबरों के लिए हमारा चैनल भी जरुर सब्सक्राइब कर लें…शुक्रिया