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यूपी की सियासत में एक नई लड़ाई का आगाज…योगी ने पहले ‘धारणा’ फैलाई… फिर अखिलेश काउंटर करने के लिए बनाई नई ‘धारणा’
योगी की ओर से 80 बनाम 20 की सियासत… अखिलेश ने काउंटर करने के लिए 85 वर्सेज 15 का दांव चला
यूपी की राजनीति में योगी और अखिलेश के दांवों के बीच तूफानी लड़ाई… किसने किसपर बढ़त बनाई

एक सवाल यूपी की सियासत में खूब हो रही है… योगी की बनाई धारणा जीतेगी या फिर अखिलेश यादव की ओर से बनाई नई धारना जीतेगी… दोनों ओर जबरदस्त प्रयास हो रहा है… जबरदस्त लड़ाई हो रही है…हालांकि धारणा वाली लड़ाई ऐसी होती है… जो दिखती नहीं है… बस एक सही तरीके से किया जाए… तो काम कर जाता है… घोसी के रण में अखिलेश इसी धारणा का सियासत की पिच पर टेस्ट ड्राइव किया था तो उसमे बहुत शानदार कामयाबी मिली थी… महौल ऐसा घोसी में बना था… इस माहौल को बनाने में शिवपाल, काजल निषाद, रागिनी सोनकर से लेकर नवरत्न यादव ने अहम भूमिका निभाई थी…. सबकी जुबां पर एक ही बात थी… हम तो पीडीए वाले हैं… अब अखिलेश का यही पीडीएम 85 बनाम 15 हो चुका है… कहा जा रहा है… आने वाले वक्त में 80 बनाम 20 और 85 बनाम 15 के बीच जबरदस्त लड़ाई होने वाली है… तो ऐसे में सवाल है… इसमें किसकी जीत होगी….


दरअसल बिहार जैसे राज्यों में जाति आधारित जनगणना का मुद्दा जोर पकड़े हुए है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में विपक्ष की ओर से इसको स्थापित करने का प्रयास हो रहा है… वैसे कहने वाले कह रहे हैं… बिहार में जाति आधारित जनगणना का मुद्दा अपना असर नहीं दिखा पाएगा… कहा जा रहा है कि यहा सत्तारूढ़ भाजपा ने ‘मंडल’ के ऊपर ‘कमंडल’ को पूरी तरह से स्थापित कर दिया है… उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाति आधारित जनगणना की मांग को खारिज कर दिया है, भले ही भाजपा के सहयोगियों ने इसके पक्ष में कानाफूसी अभियान शुरू कर दिया है… समाजवादी पार्टी के जाति आधारित जनगणना कार्ड का लक्ष्य अंकगणित को 85 बनाम 15 में बदलना है, जिसमें 85 ओबीसी और दलित हैं और 15 उच्च जातियां हैं… हालांकि, सीएम योगी ने ये कहकर इसका प्रतिकार किया है कि 2024 का चुनाव 80 बनाम 20 होगा, जिसमें 80 हिंदू होंगे और 20 अल्पसंख्यक होंगे…


एक दावा ये भी किया जा रहा है… समाजवादी पार्टी ने भी महसूस किया है कि 2024 में भाजपा को सेंध लगाना लगभग असंभव कार्य होगा, क्योंकि तब तक राम मंदिर तैयार हो जाएगा और भाजपा का हिंदू मुद्दा पहले की तरह मजबूत हो जाएगा… भाजपा और संघ परिवार के सदस्य पहले से ही जनवरी 2024 में राम मंदिर के अभिषेक समारोह के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की योजना बना रहे हैं… विशेष ट्रेंने सभी राज्यों से भक्तों को लाएंगी, विशेष यात्राएं देश भर में फैलेंगी और राम मंदिर के उद्घाटन की घोषणा के लिए कई अभियान चलाए जाएंगे… दरअसल, आयोजन दिवाली की पूर्व संध्या से शुरू होंगे… इस बार सरयू नदी के तट पर 21 लाख मिट्टी के दीपक जलाए जाएंगे। योगी आदित्यनाथ प्रतिशोध के साथ हिंदू कार्ड खेलने पर आमादा हैं और उनकी शासन शैली यह साबित करती है…


गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की हत्या और उसके बेटे असद के एनकाउंटर ने उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक आधार पर माहौल को बेहद गर्म कर दिया है… आजम खान और उनके परिवार और मुख्तार अंसारी के कुनबे के खिलाफ चल रही कार्रवाई इसी दिशा में एक और कदम है… विपक्षी दलों ने एक समुदाय के खिलाफ इस हमले को उजागर करने से परहेज किया है क्योंकि जाहिर तौर पर, वे हिंदू समर्थन खोना नहीं चाहते हैं… इस बीच, राज्य भर में मंदिरों के जीर्णोद्धार के एक बड़े अभियान ने भी राज्य सरकार की ‘हिंदू सरकार’ के रूप में छवि को मजबूत किया है… जाति आधारित जनगणना की विपक्ष की मांग को कमजोर करने के इरादे से भाजपा पिछड़ी जातियों को लुभाने में भी जुटी है।…योगी आदित्यनाथ सरकार में तीन सहयोगी- निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल- तीन मजबूत पिछड़ी जाति समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं… निषाद पार्टी, निषाद समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है, एसबीएसपी का दावा है कि उसे राजभर का पूरा समर्थन प्राप्त है, जबकि अपना दल एक कुर्मी-केंद्रित पार्टी है…