इधर उधर अगर वो जाते रहते तो कहा जा सकता था… कि दल बदल में ये माननीय माहिर है… इसलिए चला गया… बीएसपी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा… जैसे कि घोसी में दारा सिंह चौहान की ओर से लिए गए फैसले से हुआ… सपा की राजनीति कमजोर नहीं मजबूत ही हुई… लेकिन बीएसपी को छोड़ने वाले इस नेता के साथ ऐसा नहीं है… वो ढाई दशक से ज्यादा वक्त से बीएसपी में रहा है… 26 साल से बीएसपी की राजनीति को पश्चिमी यूपी में चमकाने का प्रयास करता रहा है… लेकिन बीएसपी प्रमुख मायावती की राजनीति इस कदर निराश हुआ कि अब उन्हें आरएलडी चीफ जयंत चौधरी की राजनीति में अपनी राजनीति के लिए अपना भविष्य दिखने लगा… और फिर हाथी की सवारी को भूल जयंत की सियासत की ओर चल पड़ा… आरएलडी चीफ जयंत चौधरी की राजनीति की ये एक बड़ी जीत है…

कहा जा रहा है… जयंत ने उस नेता को अपनी पार्टी में जगह देने के लिए बकायदा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सहमति ली… फोनकर उनसे बात की… पूछ लिया इस नेता को आरएलडी में ठिकाना देना आरएलडी के लिए कितना अच्छा रहेगा… अखिलेश ने भी कह दिया.. अच्छा रहेगा… उसको सम्मान के साथ आरएलडी में जगह दीजिए… तो कौन हैं वो कद्दावर नेता, जिसका बीएसपी को छोड़ना बीएसपी के लिए झटके की तरह है… जिसका नुकसान मायावती की राजनीति के लिए बहुत बड़ा रहने वाला है… पश्चिमी यूपी की राजनीति में उसका कितना महत्व है… उसे समझिए सियासी गलियारे में चर्चा है… कि मुजफ्फरनगर में 26 साल पुराना बसपा का एक बड़ा स्तंभ ढह गया…ढाई दशक से ज्यादा समय से बीएसपी की सेवा कर रहे बसपा के पूर्व मेरठ-सहारनपुर कोऑर्डिनेटर जिया उर रहमान ने संगठन को अलविदा कह दिया। जिया उर रहमान आरएलडी की सदस्यता ग्रहण करने के लिए दिल्ली में हैं… मुजफ्फरनगर में पुराने राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले जिया उर रहमान भट्टे वाले पिछले 26 साल से बसपा में सक्रिय थे… उनके पिता अजीज उर रहमान भट्टे वाले भी कांग्रेस पार्टी में काफी दिनों तक सक्रिय रहे… जिया उर रहमान ने राजनीति में कदम रखा तो उन्हें बहुजन की पैरोकार कही जाने वाली बसपा में काफी सम्मान मिला…


करीब 26 साल तक पार्टी में रहे जिया उर रहमान मेरठ-सहारनपुर जिलों के कोऑर्डिनेटर रहे… सहारनपुर मंडल अध्यक्ष भी रहे… जिया उर रहमान ने बसपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर पालिका से अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा… उनकी पत्नी को भी बसपा ने एक बार मैदान में उतारा था… जिया उर रहमान पिछले कुछ माह से पार्टी में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे… एक पखवाड़ा पहले जिया उर रहमान ने आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी से दिल्ली में मुलाकात की थी… इसके बाद से ये चर्चा आम हो गई थी कि जिया उर रहमान बसपा को अलविदा कह सकते हैं…17 अक्टूबर को जिया उर रहमान ने बीएसपी को अलविदा कहने की घोषणा करते हुए दिल्ली के लिए कूच किया… बताया कि वो आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी से मिलने के लिए दिल्ली जा रहे हैं और पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे…2024 में लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूती देने की कोशिश में जुटी बीएसपी सुप्रीमो मायावती की कोशिश के बीच वेस्ट यूपी में ये बड़ी उठापटक है… जो मायावती के लिए झटके सरीखे हैं…


तो कुल मिलाकर 2014 के बाद से लगातार वेस्ट यूपी में कमजोर हो रही बहुजन समाज पार्टी में संगठन में उठापटक खत्म होने का नाम नहीं ले रही… हर महीने वेस्ट यूपी के संगठन में बदलाव कर मायावती मजबूत करने की कोशिश करती हैं, लेकिन इस बार पदाधिकारियों में गाली गलौच तक हो गई… मामला मायावती के दरबार में पहुंचने पर अनुशासनहीनता में कई पर गाज गिर गई… बताते हैं कि विधानसभा स्तर के एक पदाधिकारी ने जिला स्तर के पदाधिकारी को मोबाइल पर गाली गलौच कर दी… इसकी शिकायत जिला पदाधिकारी ने रिकॉर्डिंग के साथ लखनऊ दरबार में कर दी… जिसके बाद एक्शन लिया गया… पहले पत्र में मेरठ मंडल प्रभारी पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री प्रशांत गौतम, सरधना विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष राकेश फलावदा, एक अन्य पदाधिकारी प्रवेश जाटव पार्टी से निकाल दिया.

तीनों पर अनुशासनहीनता करने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप है… इसी क्रम में इन तीनों के खिलाफ रिपोर्ट देने वाले मेरठ बीएसपी के जिलाध्यक्ष मोहित आनंद को भी अध्यक्ष के पद से हटा दिया है… उन्हें बागपत में संगठन देखने को कहा है… इसी के साथ मेरठ -सहारनपुर-मुरादाबाद मंडल एक तरह से वेस्ट यूपी के प्रभारी के तौर पर काम देख रहे कोऑर्डिनेटर राजकुमार गौतम से भी मेरठ मंडल से हटा दिया हैं। राजकुमार गौतम के बारे में माना जाता है कि पदों से हटाए गए और निकाले गए पदाधिकारियों के वह संरक्षक हैं। मेरठ का नया जिलाध्यक्ष पूर्व पार्षद जयपाल पाल को बनाया हैं..