कोरोना पर लगाम लगाने के लिए दुनिया भर में रिसर्च जारी है । कोरोना को लेकर अभी अलग-अलग कई दावे किए जाए रहे हैं । इस बीच फ्रांसीसी शोधकर्ता का दावा है कि कोरोना का संक्रमण सिगरेट पीने वालों की तुलना में धूम्रपान न करने वालों में तेजी से फैलता है। इसलिए वायरस की रोकथाम में निकोटीन एक अहम हथियार साबित हो सकता है। अब शोधकर्ता फ्रांस सरकार की अनुमति से निकोटीन पर शोध भी करना चाहते हैं।

दरअसल पेरिस में पिती-सल्पेतिए अस्पताल है, यहां 11 हजार कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर जब अध्ययन किया गया तो 8.5 फीसदी मरीज जो स्मोर्कस हैं, उनका इम्यून सिस्टम धूम्रपान न करने वाले मरीजों से थोड़ा बेहतर है। हालांकि, शोधकर्ता ने कहा है कि इसका मतलब ये नहीं कि वो लोगों को धूम्रपान करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। स्मोकिंग अपने आप में एक घातक समस्या है। WHO के मुताबिक दुनियाभर में 50 फीसदी बीमारी धूम्रपान से होती हैं।

रिसर्च की समीक्षा करने वाले प्रसिद्ध फ्रांसीसी न्यूरोबायोलॉजिस्ट ज्यां-पिया शांजू ने सुझाव दिया है कि निकोटीन कोरोना वायरस को शरीर की अन्य कोशिकाओं तक पहुंचने से रोक सकता है। निकोटीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने की प्रक्रिया को भी धीमा कर सकता है, जो कोविड-19 संक्रमण का सबसे गंभीर पक्ष है।

शांजू के मुताबिक, अभी तक की जो केस स्टडी सामने आई है, उसके अनुसार निकोटीन वाकई कोरोना के रोकथाम में मुख्य भूमिका निभा सकता है। जो लोग हर दिन धूम्रपान करते हैं, उनमें सामान्य लोगों की तुलना में कोविड-19 के गंभीर संक्रमण विकसित होने की संभावना बहुत कम होती है।

बहरहाल अभी उनका शोध सत्यापन के अंतिम चरण में है। स्वास्थ्य मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद वो निकोटीन पैच का क्लीनिकल टेस्ट करेंगे। इसके तहत कुछ फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और कोविड-19 वायरस वाले मरीजों की देखभाल करने वालों को निकोटीन पैच दिए जाएंगे।