लगता है योगी सरकार सीएए हिंसा के जिम्मेदार लोगों को बख्शने के मूड में नहीं है । हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से झटके के बावजूद योगी सरकार नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुई हिंसा आरोपियों के पोस्टर पर अडिग है। योगी सरकार प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एण्ड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश-2020 लेकर आई । जिसे कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई। इसके तहत आंदोलनों-प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दोषियों से वसूली भी होगी और उनके पोस्टर भी लगाए जाएंगे


अभी संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए अध्यादेश में नियमावली तय होनी बाकी है लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस अध्यादेश में हिंसा, उपद्रव और तोड़फोड़ के मामलों के आरोपियों की तस्वीरें और जानकारी वाले पोस्टर लगाने का प्रावधान शामिल होगा। सूत्रों के अनुसार, इसमें डीएम को कार्रवाई की अथॉरिटी भी दी जा रही है।


सूत्रों की मानें तो यह अध्यादेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब तलाशने के लिए लाया गया है। 19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया था। इस मामले में जिला प्रशासन ने 53 आरोपियों से 1.61 करोड़ रुपये वसूली की नोटिस जारी की थी। साथ ही, राजधानी के प्रमुख चौराहों पर इनकी फोटो सहित होर्डिंग भी 5 मार्च को लगावा दी गई थीं।


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को पोस्टर हटाने के निर्देश दिए थे। सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछा था कि किस कानून के तहत यह कार्रवाई की गई।