mulayam singh yadav



समाजवादी पार्टी के मुखिया और संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव का आज 10 अक्‍टूबर 2022 को निधन हो गया है… 10 अक्टूबर यानी आज के ही दिन मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्य तिथि है… 22 नवंबर 1939 को जन्‍में मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में विरोधियों को धूल चटाई है… लोहियावादी नेता मुलायम सिंह पिछड़ी जातियों और अल्‍पसंख्‍यकों के पैरोकार रहे हैं… नेताजी मुलायम सिंह को धरतीपुत्र के नाम से भी जाना जाता है… आइए जानते हैं मुलायम सिंह को किस शहर, किस व्यक्ति ने धरती पुत्र नाम दिया… उन्हें धरतीपुत्र क्‍यों और कबसे कहा जाने लगा… मुलायम बचपन से ही क्रांतिकारी स्‍वभाव के थे.. महज 14 साल की उम्र में तत्‍कालीन केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार के खिलाफ निकाली गई रैली में शामिल हुए थे… राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर नहर रेट आंदोलन में हिस्‍सा लिया… इस आंदोलन का प्रतिनिधित्‍व करते हुए जेल भी गए… साल1954 में राजनीति में एंट्री की थी…मुलायम सिंह पहलवान भी थे उनके सामने बड़े-बड़े पहलवान डरते थे… मुलायम की अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्‍थू सिंह यादव से पहली मुलाकात इसी पहलवानी के अखाड़े में 1962 में हुई थी… तब 23 वर्षीय मुलायम कुश्‍ती प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंचे थे वहां प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी के उम्‍मीदवार नाथू सिंह भी मौजूद थे… वो मुलायम सिंह की पहलवानी से इतने खुश हुए थे उन्‍हें अपने सानिध्‍य में ले लिया…


इसके बाद 1967 में 28 वर्षीय मुलायम सिंह को अपनी सीट उपहार में देते हुए जसवंत नगर से इलेक्‍शन लड़वाया और मुलायम ने जीत हासिल कर सबसे कम उम्र वाले विधायक बन गए… नाथू सिंह ने ही मुलायम की मुलाकात राममनोहर लोहिया से करवायी थी… 1967 में जब छुआछूत जातीय व्‍यवस्‍था चरम पर थी उसी समय इस व्‍यवस्‍था का जमकर विरोध किया… वो अपने गांव जब जाते थे तो लोगों से मिलते थे और उन्‍हें पहलवानी भी सिखाते थे…मुलायम सिंह ने छुआछूत और जातीयता की जड़ों को कमजोर करने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए… जब सहकारिता मंत्री थे तो उन्‍होंने बाल्मिकी और दतित समाज को सैफई गांव में अपने छोटे भाई की शादी में आमंत्रित किया और इस समाज के लोगों को गले लगाया और सामने बैठकर सबको भोजन करवाया…1966 में मुलायम सिंह राज्य मंत्री बने थे और उन्‍होंने अनुसूचित जातियों के लिए सीटें आरक्षित करवाई थी… इस समय उन्‍हें पिछड़ी जातियों का जमकर सहयोग मिला और मुलायम सिंह यादव के राजनीति करियर को मजबूती मिली…


अपने गुरु से मिली जसवंतनगर सीट पर 1968,1974 और 1977 में हुए मध्‍यावधि चुनाव में मुलायम को जीत हासिल हुई… सर्वहारा के हितों के लिए मुलायम सिंह ने आवाज उठाई और उन्‍हें धरतीपुत्र की उपाधि मिली तभी से उन्‍हें धरतीपुत्र के नाम से बुलाया जाने लगा… मुलायम सिंह की समाजवादी विचारधार और जनता में पकड़ ने उन्‍हें यूपी की मुख्‍यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया… लेकिन सवाल यही कि किसने मुलायम सिंह यादव धरती पुत्र का नाम दिया… सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का कानपुर से करीबी का नाता रहा… मुलायम सिंह को धरती पुत्र और भूमि पुत्र का नाम कानपुर में मिला था… यह नाम देने वाले कोई और नहीं उनके जिगरी दोस्त पूर्व विधायक श्याम मिश्र थे… उनके निधन पर मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम दौड़े चले आए थे… इन दोनों को नजदीक से जानने वाले कहते हैं… कानपुर आने पर नेताजी और श्याम दद्​दा एक रिक्शे में बैठकर शहर घूमकर हालचाल लेते थे… और एक साथ बैठकर खाना खाते थे… नेताजी जब भी कानपुर आते तो श्याम दद्​दा से जरूर मिलते थे… जनवरी 2007 में भइया श्याम मिश्र की मृत्यु हो गई, उस वक्त मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे…


जानकारी मिलते ही प्रोटोकाल तोड़कर शहर के लिए रवाना हुए… नेताजी के आने की जानकारी मिलने पर प्रशासनिक अफसरों में खलबली मच गई और सीघे धनकुट्टी घर पहुंच गए… इस कानपुर प्रशासन को इस बात की टेंशन होने लगी उस वक्त के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सीढ़ियां कैसे चढ़ेंगे… इसपर उनको बताया गया कि कई बार इन्हीं सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर आ चुके हैं, यहां आने पर वह करीब एक घंटे तक परिवार के साथ रहे थे…