CM Nitish Kumar से ‘Anand Mohan’ पर Mayawati का सवाल… दलित वोटबैंक पर अब होगी बड़ी लड़ाई… अखिलेश तो नीतीश की वजह से फंस गए !
क्या बीएसपी प्रमुख मायावती, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज हैं ?
नीतीश ऐसा क्या किया जिससे मायावती खुद को रोक नहीं पायी, उन्हें निशाने पर लिया ?
नीतीश की ओर से अखिलेश को वरीयता देना क्या बीएसपी सुप्रीमो मायावती को रास नहीं आ रहा है ?
मायावती ने नीतीश की ओर से लिए एक फैसले को घेरा… नुकसान सबसे ज्यादा होगा तो अखिलेश को ?
मायावती की पार्टी बीएसपी का यूपी की राजनीति में अहम स्थान है… ऐसे वक्त में भी जब उनकी पार्टी बीएसपी को एक एक सीट के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है… वैसी स्थिति में भी बीएसपी को 20 से लेकर 22 फीसदी तक जनता का वोट मिल रहा है… लेकिन बावजूद इसके विपक्षी एकता की तरफदारी करने वालों की निगाहों में उनकी पार्टी बीएसपी और खुद मायावती की राजनीति की अहमियत कही दिखती नहीं है… बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एक ऐसी ही गलती की है… मायावती की राजनीति को शायद उन्होंने हल्के में ले लिया है…और लगता है… मायावती ने नीतीश के इस सियासी स्टैंड को अपनी सियासत के खिलाफ मान लिया… इसलिए एक ऐसे मुद्दे को उठाया है… और शायद उठाते रहेंगी… ये मुद्दा कुछ ऐसा है… जिसका नुकसान नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और गठबंधन के साझेदार आरजेडी को तो होगा ही… इसके साथ ही इसके छीटें यूपी में अखिलेश की राजनीति पर भी पड़ सकते हैं…
नीतीश राष्ट्रीय स्तर बीजेपी की सत्ता को बेदखल करने के लिए अमादा है… इसलिए जिन विपक्षी पार्टियों के बीच आपस में मतभेद है… उसे तोड़ने के लिए पूरी ताकत लगा रहे है… कभी वो कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलते हैं… कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलते हैं… कभी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलते हैं… तो कभी यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टियों में से एक सपा के सर्वेसर्वा अखिलेश यादव मिलते हैं… लेकिन यूपी की ही एक और पार्टी बीएसपी की ओर देखते भी नहीं… उनसे ना मिलने पर सवाल किया जाता है… तो टाल देते हैं… लेकिन मायावती को इग्नोर करना कही नीतीश कुमार की सियासत के लिए भारी ना पड़ जाए… क्योंकि बीएसपी प्रमुख मायावती ने नीतीश कुमार को दुखती रग पर वार कर दिय़ा है… एक ऐसे मुद्दे को छेड़ा है… जिसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद जन्म दिया है… नीतीश की सियासत ने तत्कालिक फायदे के लिए कौन सा ऐसा रास्ता अपनाया है… जो नीतीश की ओर से अपनी ही सियासत पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा… चलिए आपको बताते हैं
दरअसल बिहार में एक डीएम हुआ करते हैं… नाम था उसका जी कृष्णैया… आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे… दलित समुदाय से आते थे… इनकी हत्या का दोष बाहुबली आनंद मोहन पर आया… वो जेल में सजा काट रहे हैं… अब आनंद मोहन के समर्थक उनकी रिहाई के लिए लगातार आवाज उठ रहे है…. कई सभाओं में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने आनंद मोहन के समर्थकों ने उन्हें जेल से आजाद करने का मामला उठाया…. समर्थकों की मांग को देखते हुए नीतीश सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए नियम में फेरबदल किया है… लेकिन, देशभर के दलित नेताओं के तरफ से आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ आवाज भी उठने लगे हैं… इनमें बीएसपी प्रमुख मायावती भी हैं… मायावती ने ट्वीट कर नीतीश कुमार को दलित विरोधी करार दे दिया…
बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 के पहले बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा किए जाने के लिए बिहार सरकार के निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं… लोगों का कहना है कि आनंद मोहन पर एक दलित आईएएस की हत्या के आरोप में वो जेल में हैं और सरकार यदि उन्हें रिहा करती है तो इससे साफ है बिहार सरकार दलित विरोधी है…इस मामले पर पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी ट्वीट कर नीतीश कुमार पर अपनी भड़ास निकाली है… मायावती ने कहा कि
बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है…
मायावती ने नीतीश कुमार से अपने निर्णय पर एक बार फिर से विचार करने की मांग करते हुए कहा की
आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का ये दलित विरोधी और अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है… चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे…
अब मायावती ने नीतीश के दुखती रग को पकड़ लिया है… नीतीश की पार्टी जेडीयू को बिहार में कितना नुकसान होगा… ये तो बिहार के विपक्ष पर है… वो इस मुद्दे को किस तरह से भुनाते हैं… लेकिन विपक्षी एकता के तहत नीतीश के साथ आए अखिलेश यादव के उन प्रयासों को यूपी झटका लग सकता है… जिसके तहत वो मुस्लिम, यादव के साथ दलितों और पिछड़ों को अपनी पार्टी से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं…