RTI एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने ग्राम पंचायतों को अनियमित तरीके से परफॉर्मेंस ग्रांट देने केमामले में भेदभाव पूर्ण कार्रवाई की लोकायुक्त संजय मिश्रा से शिकायत की है । नूतन ठाकुर ने कहा कि विजिलेंस की सिफारिश के बावजूद पंचायती राज विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर विजय किरण आनंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ । विजिलेंस ने विजय किरण आनंद के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार में मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की थी


आपको बता दें कि पंचायती राज विभाग में 700 करोड़ रुपये का परफॉर्मेंस ग्रांट घोटाला हुआ । विजिलेंस ने जांच के बाद जिन अफसरों के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी, उनमें से एक अफसर के खिलाफ एफआईआर की अनुमति आज तक नहीं दी गई। इतना ही नहीं, घोटाले के एक अन्य आरोपित को जांच के दौरान ही पीसीएस के आईएएस संवर्ग में प्रमोशन तक दे दिया गया।


मौजूदा समय में डीजी शिक्षा के पद पर तैनात विजय किरण आनंद 18 अप्रैल 2017 से 20 दिसंबर 2017 तक पंचायती राज विभाग में निदेशक के पद पर तैनात रहे। उनके खिलाफ राष्ट्रीय पंचायती राज प्रधान संगठन ने 18 अप्रैल 2017 को परफॉर्मेंस ग्रांट में हेराफेरी की शिकायत की थी, जिस पर 23 अप्रैल को शासन में पूरे मामले की 15 दिन में जांच करवा कर आख्या देने के निर्देश दिए थे। जांच के आदेश होने के बाद भी विजय किरण आनंद ने तीन मई 2017 को सभी बैंकों को परफॉर्मेंस ग्रांट की धनराशि उसी दिन इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के माध्यम से स्थानांतरित कर उन्हें सूचित करने के निर्देश दिए।

इस मामले को लेकर सीएम को पत्र लिखने वाली एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर का आरोप है कि जांच के दौरान पैसा ट्रांसफर करने का आदेश देने से ही विजय किरण आनंद की भूमिका जब स्पष्ट हो जाती है। तो फिर उनके खिलाफ FIR क्यों नहीं दर्ज की गई ।