प्रदेश में रोचक हो चले चुनाव में पहली बार ऐसा है जब चार महिलाएं अहम भूमिका में नजर आ रही हैं। चार दलों की बागडोर संभाल रहीं इन महिला नेत्रियों के सामने अपनी साख के साथ ही अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने की बड़ी जिम्मेदारी है। इनमें से दो महिला नेत्रियां ऐसी हैं, जो अपने बूते सरकार बनाने की जंग लड़ रही हैं। शेष दो में से एक भाजपा की सरकार बनाने तो दूसरी सपा सरकार बनाने में जुटी हैं।
तीन बार सीएम रह चुकीं मायावती के प्रदर्शन पर हैं निगाहें
प्रदेश और देश में दलित राजनीति का बड़ा नाम मायावती एक बार फिर से पूरे दमखम से अपनी पार्टी बसपा को सत्ता के करीब ले जाने की जी-तोड़ कोशिश में हैं। तमाम पुराने नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद भी इनकी तैयारी में कोई कमी नहीं है। इन्होंने नए नेताओं को इस चुनाव में आगे किया है। तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती ने किसी भी राजनीतिक दल से कोई गठबंधन नहीं किया है। पुराने सिपाहसलार पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को साथ लेकर पूरी योजना रचना के साथ चुनावी अभियान को गति देने में जुटी हैं। इनके दल के प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि सरकार किसकी बनने वाली है।
यूपी में कांग्रेस को आगे ले जाने की जंग लड़ रही हैं प्रियंका
प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव की कमान इस बार पूरी तरह से नेहरू-गांधी परिवार की प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने कंधों पर ले रखा है। पार्टी के चुनाव का हर फैसला वह खुद कर रही हैं। लगातार लखनऊ में जमी हैं। प्रियंका के आने से प्रदेश के कांग्रेसी उत्साहित हैं। कई पुराने कांग्रेसी जो बिखरे हुए थे, कांग्रेस में वापस आ गए हैं। खास बात यह कि प्रियंका ने इस चुनाव में महिलाओं को अधिक से अधिक टिकट देने का वादा किया और उस पर अमल कर रही हैं। लगातार केंद्र व प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं। जनता की नब्ज को पकड़ने और उन्हें पार्टी से जोड़ने की कोशिश में हैं। इनके प्रदर्शन से प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति की उम्मीदें की जा रही हैं।
अनुप्रिया से है भाजपा को बड़ी उम्मीदें
तीसरी महिला नेत्री केंद्र सरकार में उद्योग राज्यमंत्री तथा अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल हैं। डा. सोनेलाल पटेल के निधन के बाद से राजनीति में सक्रिय हुईं अनुप्रिया लगातार अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने में सफल रही हैं। वर्ष 2012 में पहली बार वाराणसी के रोहनिया से विधायक चुनी गई थी। वर्ष 2014 में एनडीए से गठबंधन के बाद मिर्जापुर से सांसद चुनी गईं और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री बनी थी। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन के तहत 11 सीटों पर लड़ कर नौ विधायक जिताने में सफलता हासिल की। इस समय इनकी पार्टी से दो सांसद, नौ विधायक और एक एमएलसी हैं। अनुप्रिया पटेल की पार्टी एनडीए गठबंधन में है, भाजपा फिर से पूरे बहुमत से सरकार में लौटे इसके लिए दिन-रात मेहनत में जुटी हैं।
कृष्णा पटेल को राजनीति में सफल होने का इंतजार
चौथी महिला नेत्री स्व. सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल हैं। जो कि अपना दल मूल पार्टी को लेकर चल रहे विवादों के बाद अपना दल (कमेरावादी) के नाम नई पार्टी बनाकर राजनीति कर रही हैं। उनके साथ उनकी दूसरी बेटी पल्लवी पटेल भी कंधे से कधा मिला कर चल रही हैं। कृष्णा पटेल विधायकी और सांसदी दोनों चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन अभी तक इन्हें सफलता नहीं मिली है। इस बार इनके दल का गठबंधन सपा के साथ है। सपा गठबंधन से कुर्मी समाज को जोड़ने और वोट दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी निभा रही हैं।